मुम्बई आये हुए यूं ही कुछ 3-4 महीने हुए थे मुझे। Screen Writer Asscoiation, Mumbai में writer card बनवाने गया था। सीढ़ी पर बैठा फॉर्म भर रह...
मुम्बई आये हुए यूं ही कुछ 3-4 महीने हुए थे मुझे। Screen Writer Asscoiation, Mumbai में writer card बनवाने गया था। सीढ़ी पर बैठा फॉर्म भर रहा था।
कुछ देर बाद मेरे पीठ पर कोई हाथ रखता है और मैं उसकी तरफ देखता हूँ। एक इंसान जिनकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी, मुझसे मुस्कुराते हुए पूछते हैं- कैसे हो? मैं सर हिलाता हूँ और मैं भी हल्का मुस्कुरा देता हूँ। वो मुझे देखते और मुस्कुराते हुए सीढ़ियों दे उतर जाते हैं, मैं उनको पहचान नहीं पाता हूँ।
कुछ दिनों बाद टीवी के एक शो (Wajid Khan in Relaity Show) में मुझे वही चेहरा नज़र आता है और मैं याद करने लगता हूँ कि इस इंसान को मैं मिल चुका हूँ।
तभी अचानक मुझे याद आता है वो सीढ़ियों वाला पल और मेरे मुंह से निकलता है- यह वाज़िद खान(Wajid Khan) हैं! और मैंने पहचान नहीं पाया!!
आज वाज़िद खान के जाने की खबर जैसे ही सुना उनका मेरे पीठ पर हाथ रखकर मेरा हाल पूछना और मुस्कुराना याद आ गया।
वाज़िद खान! आप चले गए तो क्या, याद बनकर दिलों में रहेंगे सदा!! दिल दुखी है। बॉलीवुड (Bollywood Songs of Wajid khan) ने आज एक अनमोल रत्न खो दिया है। आपकी कमी कोई नहीं पूरी कर सकता।
Silsila Zindagi Ka और मेरी तरफ से आपको दिल से सलाम!!
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