राहत इंदौरी (Rahat Indori ) साहब की ग़ज़लें ( Rahat Indori ghazals ) और शायरी पढ़कर हमेशा कुछ नया सा और अलग सा महसूस होता था। उनकी शायरी में ...
राहत इंदौरी (Rahat Indori) साहब की ग़ज़लें (Rahat Indori ghazals) और शायरी पढ़कर हमेशा कुछ नया सा और अलग सा महसूस होता था। उनकी शायरी में कुछ ऐसी बात थी जो सीधे दिल (Heart touching Shayari Indori) पर दस्तक देती थी।
अक्सर मैं फुर्सत समय में उन्हें बहुत सुनता था और उनकी उम्दा पंक्तियां लोगों के सामने भी बोला करता था।
अचानक कल खबर आई राहत इंदौरी साहब ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। बहुत दिल को दुख पहुंचा और उनकी कई शायरी (Rahat Indori shayari) और ग़ज़लें कानों में गूंजने लगीं।
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RAHAT INDORI |
silsila zindagi ka राहत इंदौरी को सलाम करता है और उनकी 22 बेहतरीन (22 Best Shayari of Rahat Indori) शायरी, जिसमें कुछ तो बात थी आपके सामने रख रहा है।
वैसे सबसे पहले आपको बता दें कि राहत इंदौरी कोरोना पॉजिटिव होने के बाद एक शायरी लिखे थे, मुझे लगता है कि उसका ज़िक्र करना सबसे पहले जरूरी है।
Rahat Indori Shayari On Corona
‘शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम, कोरोना से कोई कह दे कि औक़ात में रहे’
राहत साहब ने तो कोरोना को चैलेंज कर दिया था, पर अफसोस उससे जीत ना पाए। राहत साहब! आपका हिंदुस्तान आपके जाने से बहुत दुखी है।
मैं अपने ब्लॉग के माध्यम से राहत इंदौरी को उनकी 20 बेहतरीन ग़ज़लों और शायरी के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
राहत इंदौरी की शायरी
आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी
Best Shayari Of Rahat Indori
ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था
मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था
वफ़ा को आज़माना चाहिए था, हमारा दिल दुखाना चाहिए था
आना न आना मेरी मर्ज़ी है, तुमको तो बुलाना चाहिए था
Heart Touhing Shayari Of Rahat Indori
हर एक चेहरे को ज़ख़्मों का आईना न कहो
ये ज़िन्दगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहो
सारी बस्ती क़दमों में है, ये भी इक फ़नकारी है
वरना बदन को छोड़ के अपना जो कुछ है सरकारी है
लोग होठों पे सजाये हुए फिरते हैं मुझे
मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं
22 Ghazals of Rahat Indori
बढ़ गयी है के घट गयी दुनिया
मेरे नक़्शे से कट गयी दुनिया '
उठो ऐ चाँद-तारों ऐ शब के सिपाहियों
आवाज दे रहा है लहू आफ़ताब का
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भंवर है जिसकी
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके
अपने होने का हम इस तरह पता देते थे
खाक मुट्ठी में उठाते थे, उड़ा देते थे
सफ़र की हद है वहाँ तक कि कुछ निशान रहे
चले चलो के जहाँ तक ये आसमान रहे
धूप बहुत है मौसम जल-थल भेजो न
बाबा मेरे नाम का बादल भेजो न
सुला चुकी थी ये दुनिया थपक थपक के मुझे
जगा दिया तेरी पाज़ेब ने खनक के मुझे
ज़मीं पे आ गए आँखों से टूट कर आँसू
बुरी ख़बर है फ़रिश्ते ख़ताएँ करने लगे
मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ
सोचता हूँ के तुझे हाथ लगा कर देखूँ
यादों की एक भीड़ मेरे साथ छोड़ कर,
क्या जाने वो कहाँ मेरी तन्हाई ले गया
Shayari of Rahat Indori
ये ज़िन्दगी सवाल थी जवाब माँगने लगे
फरिश्ते आ के ख़्वाब मेँ हिसाब माँगने लगे
बुलंदियों का नशा टूट कर बिखरने लगा
मेरा जहाज़ ज़मीन पर उतरने वाला था
शहरों-शहरों गाँव का आँगन याद आया
झूठे दोस्त और सच्चा दुश्मन याद आया
Ghazals of Rahat Indori
किसने दस्तक दी ये दिल पर, कौन है?
आप तो अंदर हैं, बाहर कौन है?
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना
हाथ जब उससे मिलान तो दबा भी देना
दोस्तों!" राहत इंदौरी साहब ने इस दुनिया को तो अलविदा कह दिया, पर उनकी रचनाएं हमेशा हमारे कानों में गूंजती रहेंगी।
मिलते हैं जल्द ही एक नए विषय के साथ। जुड़े रहिये ' सिलसिला ज़िन्दगी का' के साथ।
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