रामदयाल ठाकुर का डेरा- जी हाँ नाम तो सभी जानते हैं। बदल गया है यहाँ का परिदृश्य। भुआलछपरा, नौरंगा गाँव से जुड़ा हुआ, जो कि बिहार की सीमा में ...
रामदयाल ठाकुर का डेरा- जी हाँ नाम तो सभी जानते हैं। बदल गया है यहाँ का परिदृश्य। भुआलछपरा, नौरंगा गाँव से जुड़ा हुआ, जो कि बिहार की सीमा में आता है।
जर्जर हालात, हर सुविधा से अछूता यह डेरा, थोड़ा ही सही, पर अब अपने विकास (Bihar Village Development) की गाथा कहता है। दूर से आती और दूर तक जाती एक पतली सी सड़क, जो सिर्फ सड़क ही नहीं बल्कि एक डोर है, जो काम करती है उन चाहतों और ख़्वाबों को जोड़ने का जो शायद आसानी से जुड़ नहीं पाती थीं वह भी खास कर के भादो के महीने में।
यह पतली सी सड़क आज लोगों को कई जगहों से पल भर में जोड़ देती है। निश्चित तौर पर बिहार सरकार (Bihar Governement Schmeme For Village) के विकास की कहानी का एक हक़ीक़त है यह।
यह सड़क (Viilage Road) आज हाईवे (Village Highway) जैसा लगता है। एक पल का भी विराम नहीं। गाड़ियों का काफिला रुकता ही नहीं। और इस गाँव में आपको थोड़ी सी शहर की आबो-हवा लेनी है तो सुबह 5 बजे चले आईये इस सड़क (Running on road) पर और देखिए औरत से लेकर मर्द तक का एक झुंड, जो आपको एक्सरसाइज करता हुआ नज़र आ जायेगा।
अब ज़रा बात बिजली और खम्भों की। छोटे थे तब हमारा सपना था बिजली हमारे घर में हो। लाइट से जगमगाये हमारा घर, आंगन। और आज वह सपना भी सच हो गया है।
खुशी होती है, इस नज़ारे को देखकर। इस सुहाने दृश्य को देखकर और अब उस बैनर को देखकर जिस पर लिखा हुआ है रामदयाल का डेरा।
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