Personality गंगा किनारे बसा एक छोटा सा गांव, जहां किसी प्रकार का कोई विकास नहीं। ना अस्पताल, ना शिक्षा, ना बिजली, ना कुछ और। लेकिन ...
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गंगा किनारे बसा एक छोटा सा गांव, जहां किसी प्रकार का कोई विकास नहीं। ना अस्पताल, ना शिक्षा, ना बिजली, ना कुछ और। लेकिन कहते हैं कि जो प्रतिभा के धनी होते हैं, जिनके अंदर कुछ कर गुजरने की तमन्ना होती है, उन्हें कोई परिस्थिति आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। आज मैं एक ऐसे ही व्यक्तित्व से आपका परिचय कराने जा रहा हूँ, जो उसी छोटी जगह से निकलकर, देश का वर्दी पहनकर, विदेश में भी उस वर्दी , समाज, गांव और देश का सम्मान बढ़ाया। जी हाँ, ये व्यक्तित्व हैं "प्रमोद पांडेय जी"।
यकीनन, आज मुझे इनके बारे में लिखते हुए अभूत पूर्व खुशी हो रही है। क्योंकि एक तो मेरे ही गाँव के हैं ये, और दुसरी सबसे बड़ी बात ये हमारे गुरु जी भी हैं। जिन्होंने हमें पढ़ाया है। याद है मुझे, इनका संस्कृत पढ़ाने का अंदाज़। वो प्यार करने का अंदाज़....और कक्षा में प्रवेश करते ही जब "भो-भो गर्दभो" कहते थे, तो क्लास में ठहाके गूंजने लगते थे। हंसमुख चेहरा, पढ़ाने का अंदाज़ निराला। ग़लतियाँ करने पर मारने से भी नहीं कतराते थे, लेकिन प्यार और दुलार भी उतना ही करते थे।
एक शिक्षक से शुरू हुआ उनका सफ़र आगे बढ़ता गया और वो भी आगे बढ़ते गए। वक़्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते रहे। और जो वक़्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चलता है, उसे भला कुछ करने से कौन रोक सकता है? और हुआ भी कुछ ऐसा ही। एक दिन ऐसा आया जब "INDIAN SOLDIER" की वर्दी उनके शरीर पर चमकने लगी।
उनका सफ़र आगे बढ़ता रहा। "लेकिन कुछ बड़ा करने वाले, जितना पा लेते हैं उससे और भी ज़्यादा उन्हें पाने की चाहत होती है"। और उनकी इसी चाहत और जुनून का नतीज़ा था, जब "प्रमोद पांडेय जी" को "AS A INDIAN SOLDIER" देश का नेतृत्व करने का मौका मिला और वर्दी पहने ये पहुँच गए "CONGO BUNIYA (AFRICA)" में और वहां भी उन्होंने अपने समाज, गाँव और देश का परचम लहराया। किसी ने क्या खूब कहा है- "तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत में यक़ीन कर, अगर है कहीं स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर"। कुछ इन्हीं पंक्तियों को यथार्थ करते हुए "प्रमोद पांडेय जी" ने समाज और देश का गौरव बढ़ाया है, सचमुच यह काबिले-तारीफ़ है और सबको नाज़ है।

हम दिल से यही दुआ करते हैं कि इसी तरह आप समाज, गांव और देश का नाम रोशन करते रहिए। सफ़र ज़िन्दगी का हो या सड़क का....आप इसी तरह आगे बढ़ते रहिये। आज जननी जन्मभूमि भी गौरवान्वित महसूस कर रही होगी। और सच कहूँ तो आज मेरी कलम को आप पर कुछ लिखते हुए बहुत नाज़ हो रहा है और मुझे गर्व है कि आपने मुझे भी शिक्षा दिया है। इसी तरह अपना प्यार और आशीर्वाद बनाये रखिये और इसी तरह आपका "सिलसिला ज़िन्दगी का" आगे बढ़ता रहे। जय हिन्द !!!!!!!!
बहुत-बहुत धन्यवाद अनिल जी धन्य है आपकी लेखनी जो सच्चाई को सामने रखने का काम करती है और कोयले के अंदर से हीरा ढूंढने का काम करती है बहुत-बहुत साधुवाद आपको
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