मैं सावन हूँ तुम्हारी बहार मुझसे है

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मैं सावन हूँ तुम्हारी बहार मुझसे है

अब के चले जायेंगे जो हम
मिलेंगे फिर ज़माने के बाद!
मैं कैसा था, कौन और क्या था
सोचोगे मेरे चले जाने के बाद!!

तुम्हारी आँखें ताकेंगी मेरा रस्ता
पर आएंगे ना फिर हम लौटकर!
मैं सावन हूँ, तुम्हारी बहार मुझसे है
मैं ना रहा तो पतझड़ में रहोगे उम्र भर!!


मैं इश्क़ की परिभाषा हूँ
मोहब्बत की मिसाल हूँ।
तुम्हारी  ज़िन्दगी  हूँ  मैं
तुम्हारा मैं  हर  हाल हूँ।
तुम्हारा हर ज़वाब हूँ मैं
तुम्हारा मैं हर सवाल हूँ।


ये वादियाँ, ये हवाएं, ये फजाएँ
सब मेरे साथ चलती हैं।
तुम्हें मालूम नहीं शायद ये बात 
मेरी वज़ह से तुम्हारी तक़दीर बदलती है।।


लिखता हूँ मैं उसे ही
जिसे मैं महसूस करता हूँ।
मैं हर रोज़, वक़्त-बेवक़्त
तुम्हारे दिल में उतरता हूँ।
जब तक मेरी कलम मेरे साथ है
ज़माने से नहीं डरता हूँ।।



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