SILSILA ZINDAGI KA
तुमने शरमाकर अपनी नज़रों को
झुका लिया था।
शायद वही से पनपा था
मेरी और तुम्हारी प्रेम कहानी
शायद वहीं से शुरू हुई थी।
मैं तुम्हारे बिना और तुम मेरे बिना
कहीं भी रह नहीं पाते थे।
एक पल की भी जुदाई हम दोनों
कहीं सह नहीं पाते थे।
तुम मेरे दिल में और मैं तुम्हारे दिल में
इस क़दर समा गए थे।
कि मोहब्बत को भी मोहब्बत का
मतलब समझा गए थे।
और उस दिन, हाँ याद है उस दिन
समंदर किनारे हम दोनों बैठे थे।
हम दोनों समंदर की लहरों को
देखकर मुस्कुरा रहे थें।
और तुम धीरे से मेरे कान में
मुस्कुराते हुए बोली थी।
PLEASE KISS ME!

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