(WISH YOU A HAPPY DIWALI)
दिवाली तो हम सभी हर साल मनाते हैं। हर साल गणेश- लक्ष्मी की पूजा करते हैं। मिठाईयां खाते हैं।
लेकिन क्या दीप जला लेना, मिठाइयां खा लेने और खिला देने को ही दिवाली कहते हैं। नहीं, सिर्फ हम खुश हों, हमारे अपने खुश हों, सिर्फ हमारे घरों में ही दीप जलें.... इसी को दिवाली नहीं कहते। दिवाली तो वो है, जब दुश्मन के घर में भी दीप जलने लगे। हर एक घर जगमगाये और हर चेहरा मुस्कुराए।
कोई ज़मीं रहे ना बंज़र
हर तरफ हरियाली हो!
हर दिल में जले प्रेम का दीपक
और हर घर में दिवाली हो!!
चलो, इस बार दिवाली कुछ इस तरह मनाते हैं:
दोस्तों! चौक से गुजरते हुए उस बूढ़ी अम्मा की तरफ भी एक बार ज़रूर देख लेना, जो कांपते हाथों से मिट्टी के दिये बेच रही हैं। कम से कम एक दिए उससे ज़रूर खरीदना, ताकि उसके घर भी दिवाली मनाई जाए।
उस मुनिया के घर में भी मिठाइयां, दीप और फुलझड़ीयां लेकर ज़रूर जाना जिसके माता-पिता ग़रीब हैं।
वो भले ही आपका दुश्मन है। लेकिन दिवाली के दिन उसके घर-आंगन में अंधेरा देखना तो दीप लेकर पहुंच जाना। और उसके घर में भी उजाला फ़ैला देना। इसी को तो कहते हैं दिवाली।
इस दिवाली चलो वादा करते हैं कि किसी का दिल नहीं जलाएंगे, बल्कि हर किसी के दिल में प्रेम का दीप जलाएंगे। जिससे ना सिर्फ बाहर, बल्कि हमारे अंदर भी प्रकाश फैले।
इस दिवाली ये भी वादा करते हैं कि अपने अंदर की हर उस बुराई को मार डालेंगे, जो हमें बर्बादी के रास्ते पर लेकर जाती है।
हर किसी के जीवन में सुख और खुशियां लाते हैं...चलिए इस बार दिवाली कुछ ऐसे मनाते हैं।
इस बार की दिवाली सबके जीवन में खुशियां लेकर आए और हर घर आंगन जगमगाये।
तो दोस्तों!! चलो हम सभी मिलकर खुद से ये वादा करें कि हर एक घर में इस बार दीये जलाएंगे और इस बार कि दिवाली सबके साथ अलग तरीके से मनाएंगे।।
और दिल से सबको कहेंगे::WISH YOU A HAPPY DIWALI
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