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Love Poem- कविता से ही हुआ था मुझे पहला प्यार

Love Poem - I Love You Poem तुमसे जीना सीखा था, तुमसे मरना सीखा था प्यार का मिठास ले कर दिल में उतरना सीखा था। तुम्हीं से हुई थी मुझे...

Love Poem- I Love You Poem

तुमसे जीना सीखा था, तुमसे मरना सीखा था
प्यार का मिठास ले कर दिल में उतरना सीखा था।
तुम्हीं से हुई थी मुझे पहली बार मोहब्बत
तुम्हीं से संवरना और तुम्हीं से बिखरना सीखा था।।
पहले Poem बहुत लिखता था। धीरे- धीरे लिखना कम हो गया। ग़ज़ल भी मेरे साथी रहे हैं और आज भी है। मेरी लेखनी की शुरुवात ही Poem और ग़ज़ल से हुई। मैं जब पटना कॉलेज में Journalism की पढ़ाई कर रहा था उस समय मेरे बहुत दोस्त थे। लेकिन मेरा अधिकांश समय दो दोस्तों के साथ गुज़रता था। अनिसुर रहमान और आदित्य कुमार अश्क़। हम तीनों जब साथ बैठते थें तो फिर शायरी, ग़ज़ल और Poem सुनने सुनाने का दौर काफी देर तक चलता रहता था। हम तीनों अल्फ़ाज़ों से बहुत प्यार करते थे। रहमान को उर्दू विरासत में मिली थी, लेकिन आदित्य अश्क़ उर्दू को सीखे, समझे और उम्दा शायरी करते थे। आज भी करते हैं। 

मैं मुम्बई जब आया था तो जिससे मिलो, बोलता था- कुछ सुनाओ। तो फिर मैं लोगों को अपनी Poem और ग़ज़ल सुनाया करता था। सभी मेरी ग़ज़ल और Poem की बहुत तारीफ़ें करते थें और किसी दिन कहीं महफ़िल जम गई तो वो महफ़िल उस दिन मेरे नाम ही होती थी। तब मेरी उम्र भी बहुत कम थी। यही कोई  19-20 साल। और आपको यकीन नहीं होगा, एक नहीं, दो नहीं, बल्कि मेरी शायरी और Poem लोगों को चौका देती थी। 

तब मुझे बहुत खुशी होती थी। लेकिन समय के साथ-साथ मुझे यह समझ में आने लगा था कि शायरी, ग़ज़ल और Poem से ज़िन्दगी नहीं चलने वाली। इससे आपको वाह-वाही तो मिल जाएगी, लेकिन पैसे नहीं।

Script writing करना जानता था। उसका रास्ता पकड़ा और आज तक उसी रास्ते पर कायम हूँ। पर अभी भी कभी फुर्सत मिलता है तो ग़ज़ल, शायरी और Poem लिखता रहता हूँ। और आज कल तो Blog में भी सक्रिय हूँ, तो कभी-कभी लिखता रहता हूँ। आप लोगों ने मेरी शायरी, ग़ज़ल और Poem मेरे Blog "Silsila Zindagi Ka" के माध्यम से पढ़ा हरे होगा। और मैं चाहता हूँ कि शायरी, ग़ज़ल और कविता का दौर चलता रहे, क्योंकि "कविता से ही हुआ था मुझे पहला प्यार"। 

एक बार की बात है। एक मेरे बहुत अज़ीज़ दोस्त हैं। हालांकि अभी उनसे बातचीत और मिलना-जुलना बंद हो गया। हुआ यूं कि एक बार हम साथ बैठे थे। उन्होंने एक कविता सुनाया और फिर बोले मुझे भी सुनाओ। मैंने एक Poem सुनाया उन्हें। जाने ऐसा क्या हुआ कि वो Poem उनके दिल को हार्ट कर गया और फिर आज तक उनकी और मेरी मुलाक़ात नहीं हो पाई।

एक बार कुछ दोस्त बैठे हुए थे। कुछ एक्टर थे, कुछ निर्देशक और कुछ लेखक। बातचीत के दौरान ही कुछ लेखकों ने ग़ज़ल और Poem सुनाना शुरू क़िया। एक को छोड़ कर सभी मेरे लिए नए थे। जो मुझे जानते थे, जो मेरे दोस्त थे- उन्होंने मुझ से कहा तुम सुनाओ। मैंने पहले तो माना किया पर उनके बार-बार कहने पर मैंने एक ग़ज़ल सुना दिया। मेरा ग़ज़ल सुनते ही वहाँ बैठे सभी लोग ताली बजाने लगे। बाकी सबके चेहरे पर मुस्कुराहट थी, लेकिन उसी ग्रुप में एक लेखक बैठे थे, जो हम से काफी सीनियर थे। मेरी ग़ज़ल पर लोगों द्वारा ताली बजाना रास नहीं आया और वो गुस्से में वहाँ से चले गए। कोई समझ नहीं पाया कि उनको हुआ क्या? मैं आश्चर्य चकित था और बाकी सभी भी।

ख़ैर, ये सब पहले की बात है। अब तो Poem लिखना ही कम कर दिया हूँ। बहुत  हैं ग़ज़ल, शायरी Poem से जुड़ीं। जिन्हें बताने लगूं तो खत्म नहीं होंगी। सोचा हूँ आज कि नये साल का आगमन हो रहा है। तो इस नये साल पर कोई Poem लिखूं। अभी शुरुवात नहीं किया हूँ। पर ज़ल्दी ही लिख लूंगा। सोच-विचार ज़ारी है। 
फ़िलहाल, कल Christmas Day  है। तो मेरे और मेरे Blog "Silsila Zindagi Ka" की तरफ से आप सभी को Marry Christmas. मिलते हैं ज़ल्दी ही एक नए पोस्ट के साथ और नए साल के अवसर पर एक बेहतरीन और नए Poem के साथ। 

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