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Village Life: गाँव की बात ही कुछ और है

Village Life: गाँव की बात ही कुछ और है दुनिया भले ही तकनीक के पीछे भाग रही है। अंतरिक्ष में पहुंच रही है। लेकिन आज भी जो सुकून गाँवों मे...

Village Life: गाँव की बात ही कुछ और है

दुनिया भले ही तकनीक के पीछे भाग रही है। अंतरिक्ष में पहुंच रही है। लेकिन आज भी जो सुकून गाँवों में मिलता है, शायद कही नहीं।तभी तो लोग कहते हैं- "Village Life: गाँव की बात ही कुछ और है"।


 शायद ज़िन्दगी का असली अस्तित्व यही है और यही है ज़िन्दगी का वास्तविक फ़साना। kyonki- Village Life: गाँव की बात ही कुछ और है"।

जब भी मुझे वक़्त मिलता है अपने गाँव पहुंच जाता हूँ। मुझे लगाव है, बेहद लगाव है अपने गांव से। यहां के लोग। यहां की गलियां, कच्ची सड़कें, खेत-खलिहान, यहां के लोग, मेरे दोस्त सभी से अभी भी वैसा ही लगाव है, जैसा कि जब मैं यहां रहता था और लगाव था। 

फिर से आया हूँ गाँव

कुछ महीनों के बाद ही फिर से मुझे अपने गांव आने का मौका मिला है। जब भी मैं अपने गांव आता हूँ मेरे दिल में असीम उत्साह होता है। क्योंकि मुझे मालूम है कि मैं चाहे जितना दिन भी यहाँ रहूँ, ज़िन्दगी का कुछ क्षण सुकून से बिता पाऊंगा।
Village Life: गाँव की बात ही कुछ और है"।
Villags Scene

मैं यहाँ के हर पल जीना चाहता हूँ। महसूस करना चाहता हूँ। देखना चाहता हूँ यहां की वादियों के और अपने दिल में बसाकर ले जाना चाहता हूँ, यहां की कई यादों को।

शहर से जब भी कुछ दिन के लिए गांव आता  हूँ और जब यहां से वापिस जाता हूँ तो ऐसा लगता है एक नई जिंदगी की शुरुवात हुई है। फिर से ताज़गी। फिर से एक नयापन का एहसास।

ज़िन्दगी का लम्हा

ज़िन्दगी का लम्हा इतना तेज गुज़रा कि पता ही नहीं चला था कि गाँव से बिछड़ चुके हैं और अब शहर के हो चुके हैं। शहर की आबो-हवा ने हमारे दिल पे अपना नाम लिख दिया है। वक़्त की रफ़्तार इतनी तेजी से गुजरा कि हमें बड़ा कर गया, बहुत बड़ा। शायद अब हम खुद भी नहीं सोचते हैं कि छोटे हैं। 

बड़ी-बड़ी ख़्वाहिशों का बोझ लिए बड़े शहर में दस्तक दिये। भाग दौड़। रोज़ संघर्ष। खुद से लड़ना झगड़ना। खुद से रूठना, खुद को मनाना। न कोई अपना, न पराया। बेचैनियां, खामोशियाँ। जद्दोजहद। 

और फिर से दिल का कहना- चलो गाँव चलेते हैं। क्योंकि अगर जीने का जुनून चाहिए, तो थोड़ा सुकून चाहिए। और फिर हम दिल में हज़ारों दर्द लेकर चल पड़ते हैं गांव की तरफ।

बहुत ना सही, थोड़ा सुकून मिला जाता है। हम ज़िन्दगी को पहचानते हैं और ज़िन्दगी हमें। मुस्कुराते हैं, गुनगुनाते हैं फिर से सपनों को सजाते हैं। और खुशी होती है "Village Life: गाँव की बात ही कुछ और है"।

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