Hindi Poem सूरज ढ़लता है तो क्या, निकलता जरूर है। वक़्त है जनाब एक दिन बदलता जरूर है।। मुश्किलें आती हैं और जाती हैं पर बहुत कुछ सिखाती हैं। ...
Hindi Poem
सूरज ढ़लता है तो क्या,
निकलता जरूर है।
वक़्त है जनाब
एक दिन बदलता जरूर है।।
मुश्किलें आती हैं और जाती हैं
पर बहुत कुछ सिखाती हैं।
ज़िंदगी महज किस्मत का खेल है
यह भी पल में बदल जाती है।
हौसला हो तो क्या नहीं हो जाता है
एक दिन पत्थर भी पानी बन जाता है।
जज़्बात लाते हैं रंग इस क़दर
इंसान मंज़िल तक पहुंच जाता है।
रास्ता मिलता नहीं इसे बनाना पड़ता है
ख़्वाहिशों में पंख लगाना पड़ता है।
अरमानों को फैलाना पड़ता है हर दिन
चाँद तारों को तोड़ कर लाना पड़ता है।
हज़ारों ख़्वाब टूटे तो क्या
उम्मीदों का दीया जलता जरूर है।
वक़्त है जनाब
एक दिन बदलता जरूर है।।
No comments