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Tailor: बैठे-बैठे दौड़ते पैर और थिरकतीं उंगलियाँ, हाँ वह टेलर है !

 कारनामेपुर बाज़ार की एक पतली सी गल्ली। उस गल्ली में एक फेमस टेलर (Tailor) की दुकान और उस दुकान पर ( Tailor Shop ) अपने काम में तल्लीनता से ल...

 कारनामेपुर बाज़ार की एक पतली सी गल्ली। उस गल्ली में एक फेमस टेलर (Tailor) की दुकान और उस दुकान पर (Tailor Shop) अपने काम में तल्लीनता से लगे एक टेलर और वहीं मोबाइल पर बज रहा है- "लग जा गले कि फिर ये हँसी रात हो ना हो"(Lag Jaa Gale)। 

बैठे-बैठे दौड़ते पैर और थिरकतीं उंगलियाँ, हाँ वह टेलर है !
औरों को यह यह हर दिन की एक ही बात लगे, पर मेरे लिए तो और दिन से सबसे अलग बात लगी यह। बैठे-बैठे दौड़ते पैर और थिरकतीं उंगलियाँ, हाँ वह टेलर है ! 

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किसी चट्टी पर छोटी सी दुकान (Tailor Shop in market), किसी ढ़ाले पर ढ़हती मकान, किसी बाज़ार में कला से करता व्यापार, किसी बड़े शहर की गल्ली का कामदार (Tailor Shop in city), किसी महानगर (Tailor Shop in town) के बड़े इलाके का नामदार...! हाँ वह टेलर है (Story Of a tailor) , उसके बिना सूने गाँव, नगर और शहर हैं।

अरे मेरे भाई की शादी है, थोड़ा जल्दी सिलाई कर देना। और भाई! मेरे बहन की सगाई है, मुझे सिलकर जल्दी कपड़े चाहिए। देखना भाई देर मत करना, मुझे बहुत जल्दी चाहिए।

और मशीन पर पैर अपने हाथ की उंगलियों से डोरे को सुलझते हुए टेलर मास्टर कहता है- हो जाएगा भाई। समय पर हो जाएगा। और फिर से उनका पैर तेजी से चलने लगता है। 

कितनी बेहतरीन कला (Art of tailoring) है ना? एक प्लेन कपड़े को बदन ढकने के लिये पोशाक बना देना। एक नए ढंग और एक नए रंग के संग हर चेहरे पर एक चमक ला देना इससे बड़ी कला और क्या हो सकती है?

शादी में पड़ोस वाले चाचा का कुर्ता पजामा (pajama kurta)-- वाह भाई! कहाँ से लिये? और पड़ोस वाले चाचा सीना तानकर कहते हैं- लिया नहीं, सिलवाया।

अपनी मर्जी का कपड़ा पहनना है, तो हम बिना सोचे पहुँच जाते है मार्केट के दर्जी के पास। और फिर वह दर्जी ऐसा कपड़ा तैयार करता है, हमारे चेहरे का रंग और भी शानदार करता है।

हमें इस कला को सलाम करना चाहिए। इस हुनर को तवज्जो देनी चाहिए। आदर करनी चाहिए एक टेलर की इस कलाकारी को जिसकी कला से हमारे तन पर चमक और मन में रौनक हैं।

मैंने इतनी तल्लीनता से किसी को काम करते हुए नहीं देखा, जितना कि एक टेलर को। इतना तेजी से कदम को दौड़ाते हुए किसी को नहीं देखा, जितना कि एक टेलर को। उलझते धागों को  उंगलियों से तेज गति से सुलझाते हुए किसी को नहीं देखा, जितना कि एक टेलर को।

समय पर तैयार है कुर्ता, समय से पहले सिल दिया गया है पजामा, आपके मन के मुताबिक रेडी है आपका पैंट। साधारण नहीं है जनाब! बेशक एक साधारण इंसान ने ही सिलाई की है, लेकिन है तो असाधारण। जिसकी तारीफ के लिए शब्द छोटे पड़ जाएंगे। 

'सिलसिला ज़िंदगी का' (silsila Zindagi ka) हुनर पर नाज़ करता है और कला को पूरा सम्मान देता है। 

दोस्तों! कैसा लगा मेरा यह पोस्ट? कमेंट्स में जरूर बताईये और जुड़े रहिये मेरे साथ। जल्दी ही मिलता हूँ एक नए विषय के साथ।


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