Begunkodor Railway Station Mystery

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Begunkodor Railway Station Mystery

 

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एक बंगलो जिसमें जो रात को ठहरा, कभी दिखाई ही नहीं दिया। एक लॉज जहाँ रात को टेरेस पर लोगों ने किसी की दौड़ने की आहट सुनी है। गाँव (Ghost in village) का एक पीपल का पेड़ जहाँ से किसी औरत की रोने की आवाज़ सुनाई देती है। एक नदी का किनारा जहाँ शाम 6 बजे के बाद जाना मना है क्यूंकि वहाँ चुड़ैल रहती है।

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दोस्तों! इस तरह की  ना जाने भूत-प्रेत के कितने किस्से आप पढ़े और सुने होंगे। लेकिन जो आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ उस पर पहले तो आपको यकीन नहीं होगा और जब यकीन होगा तब आप भी मेरी तरह कुछ देर सोचेंगे, सर्च करेंगे और कहेंगे... क्या...? कब...? ऐसा कैसे? 


पर कहते हैं ना 'कभी-कभी जैसा हम देखते हैं वैसा होता नहीं और जो होता है कभी दिखता नहीं'। जैसे बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन की वो दास्ताँ जो ना सिर्फ लोगों को चौकाती है, बल्कि चेहरे पर डर की हज़ारों लकीरें छोड़ जाती हैं। क्योंकि यह स्टेशन करीब 40 सालों तक बंद रहा था और यहाँ दिन में भी किसी की जाने की हिम्मत नहीं होती थी।


आपको सुनकर आश्चर्य हुआ ना! अरे भाई! किसी को भी होगा। पर ज़रा सोचिए उनके बारे में जिनका उस स्टेशन( Begunkodor Bengol) पर आना-जाना अचानक बंद हो गया, क्यूँकि एक आत्मा (Horror on Begunkodor Railway Station) की वज़ह ट्रेन और इंसान की गति पर रोक लग गई।


Begunkodor Railway Station Mystery

तो चलिए चलते हैं बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन (Begunkodor Railway Station)

 और जानते हैं ऐसा क्या हुआ था जो यह स्टेशन लगातार 40 सालों तक बंद रहा था।


पश्चिम बंगाल (Begunkodor West Bengal) के पुरुलिया जिले में स्थित बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन (Begunkodor Railway Station)

 संथाल की रानी श्रीमति लाचन कुमारी के प्रयासों से वर्ष 1960 में  स्टेशन खोला गया था. शुरुआत में यहां सब ठीक रहा लेकिन करीब 7 साल बाद एक कर्मचारी ने रेलवे स्टेशन पर महिला का भूत देखने का दावा किया। उस कर्मचारी ने जब वहाँ के लोगों से यह घटना का ज़िक्र किया तो सबने उसका मज़ाक उड़ाकर उसकी इस बात को अनदेखा कर दिया।


पर दोस्तों! कहते हैं कि सच एक दिन सामने उभरकर आ ही जाता है चाहे उस पर जितना मोटा पर्दा डाल दीजिये चाहे मज़ाक उड़ाकर अनदेखा कर दीजिए।


और एक दिन तब हाहाकार मच गया, जब बेगुनकोडोर के स्टेशन मास्टर Begunkodor Station Master

और उनका परिवार रेलवे क्वार्टर में मृत अवस्था में पाया गया। जो लोग यकीन नहीं करते थे अब उनके मुँह से यही बात सुनने को मिली- इन लोगों को यहॉं की एक महिलाके भूत ने मारा है।


और सबको यकीन तो उस दिन हुआ जब सूरज ढलने के बाद उस महिला का भूत उस ट्रेन के साथ-साथ दौड़ने लगी जब  वहाँ से ट्रेन गुज़रती थी।  ईतना  ही नहीं, कई बार ट्रेन की पटरियों पर भी उस महिला भूत को नाचते हुए देखे जाने का दावा किया गया था।


कहा जाता है कि उस वक्त जब भी कोई ट्रेन बेगुनकोडोर स्टेशन से गुजरती थी तो उस ट्रेन के पायलट स्टेशन आने से पहले ही ट्रेन की गति बढ़ा देते थे. जिससे वे जल्द से जल्द इस स्टेशन को पार कर सकें. यहां तक कि ट्रेन में बैठे लोग स्टेशन आने से पहले ही खिड़की-दरवाजे सब बंद कर लेते थे. जब स्टेशन गुजर जाता था तो उनकी जान में जान आती थी.


देखते-देखते लोगों के अंदर महिला के भूत का खौफ इतना बढ़ा कि वे इस स्टेशन पर आने से कतराने लगे. धीरे-धीरे यहां लोगों का वहां आना-जाना बंद हो गया. यहां तक कि स्टेशन पर काम करने वाले रेलवे कर्मचारी भी डर के मारे भाग गए. डर की वजह से न तो कोई यात्री वहां उतरना चाहता था और न ही कोई इस स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने के लिए ही आता था. इसके बाद से पूरा का पूरा स्टेशन सूनसान हो गया. आखिरकार इस स्टेशन पर ट्रेनों का रुकना भी बंद हो गया. 


Truth of Begunkodor Railway Station

रहस्यमयी साये की वजह से करीब 40 साल तक बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन बंद रहा. इसके बाद तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी के आदेश पर वर्ष 2009 में इस स्टेशन को फिर से खोला गया. उसके बाद से यहां पर ट्रेनें चलने लगी हैं और स्टाफ की भी तैनाती हो चुकी है. फिलहाल यहां करीब 10 ट्रेनें रुकती हैं लेकिन लोगों में उस साये का डर इतना है कि शाम होने के बाद स्टेशन सुनसान हो जाता है. वहीं अधिकतर स्टेशन कर्मचारी भी रात होने से पहले उसे छोड़कर घर निकल जाते हैं. 


Facts Of Begunkodor Railway Station

आज भी बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन का नाम सुनते ही यहाँ के आस-पास के लोगों के चेहरे पर डर दिखने लगता है। और दिखे भी क्यूँ ना, यह कोई साधारण घटना तो है नहीं। 


दोस्तों! हम कभी कोई साधारण घटना आपके लिए लाते ही नहीं है और ना ही कभी लाएंगे। हम आपके लिए जब भी लेकर आएंगे ऐसी घटना, ऐसी बात जो आपके लिए बिल्कुल नई और असाधारण होगी।


चुन-चुन कर हम अपनी हर कहानी, हर किस्से, हर सच को अलग अंदाज़ में बुनते हैं, तभी तो आप हमारे ब्लॉग सिलसिला ज़िन्दगी (Silsila Zindagi Ka) को देखते और सुनते हैं।


अभी तो ये सब ट्रेलर चल रहा है। आपके पसंद की मूवी भी दिखाएंगे। मेरा मतलब आप जब हमें कमेंट्स में ये बात बताएंगे कि आप कौन सी बात, कौन सा रहस्य जानने चाहते हैं? बता कर देखिये...धरती का सीना चीरकर लाएंगे, आसमान की छाती फाड़ कर लाएंगे। फिलहाल हमें दीजिये इजाज़त हम तो अभी जाएंगे। पर इसी वादे के साथ कि ज़ल्द ही नए post, नए रहस्य, नई घटना के साथ वापस लौटकर आएंगे। 



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