Page Nav

HIDE

Gradient Skin

Gradient_Skin

यह भी पढ़िए

latest

KushiNagar Travel: दिव्यता से परिपूर्ण है भगवान बुद्ध की निर्वाण स्थली कुशीनगर

 भगवान बुद्ध ( Bhagwan Buddha ) जिनकी कई कहानियां ( Buddha Stories ) हम पढ़ चुके हैं। जिनके बारे में हम बचपन से सुनते आ रहे हैं।  जिनके चमत्क...

 भगवान बुद्ध (Bhagwan Buddha) जिनकी कई कहानियां (Buddha Stories) हम पढ़ चुके हैं। जिनके बारे में हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। 


जिनके चमत्कार (Buddha Miracle) के अनेकों किस्से (Buddha Life) आज भी हमारे जेहन में तैरते हैं। जिन्होंने कई वर्षों के संघर्ष और मेहनत के बाद बौद्ध धर्म की स्थापना की और संसार को बौद्ध धर्म से अवगत कराया।

सिलसिला ज़िन्दगी का (Silsila Zindagi Ka) Blog आज आपको लेकर चलता है भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण यानी जहाँ गौतम बुद्ध अपने शरीर का त्याग किया था, वह स्थली कुशीनगर।


उत्तरप्रदेश के कुशीनगर जिले का कुशी नगर, जहाँ ना सिर्फ बौद्ध धर्म की झलक देखने को मिलती है बल्कि यहाँ आने के बाद ऐसा प्रतीत होता है मानो भगवान बुद्ध यहाँ के वातावरण में आज भी चहलकदमी करते हैं। कुशीनगर की यात्रा हमारे लिए बेहद यादगार और शानदार है क्योंकि यह यात्रा ना सिर्फ एक यात्रा है बल्कि हमारे लिए एक अनुभव है, एक अध्यात्म की झलक है जो बुद्ध से हमे जोड़ती है।



कुशीनगर का इतिहास- History Of KushiNagar

कुशीनगर का इतिहास (History Of Kushinagar) ना सिर्फ अत्यन्त प्राचीन है, बल्कि व गौरवशाली भी है। यही वह स्थली है जहां भगवान बुद्ध ने महापरिनिर्वाण किया था। 


चीनी यात्री व्हेनसांग (Chini traveler hwansang) और फाहियान  (Fahiyan Bharat Kab aaya?) ने जब भारत की यात्रा (Hwansang Bharat kab aaya?) की, इसके बाद उनकी यात्रा वृतांतों में इस प्राचीन नगरी (Historical Place KhshiNagar) का वर्णन बखूबी मिलता है। 


प्राचीन काल में यह नगर सैथवारमल्ल की राजधानी (Capital of Saithvarmall) तथा 16 महाजनपदों  में एक था। यह नगर त्रेता युग में भी विद्यमान था और भगवान श्री राम के द्वितीय पुत्र कुश (Kush Capital Kushinagar) ने यहां की वर्षों तक राज्य किया था। कहा जाता है कि इसे कुश ने अपनी राजधानी बनाया था जिसे कुशावती (Khshavati) नाम से जाना गया। 

ईसापूर्व पांचवी शताब्दी के अन्त तक या छठी शताब्दी की शुरूआत में यहां भगवान बुद्ध का आगमन हुआ था। कुशीनगर में ही उन्होंने अपना अंतिम उपदेश (Bhagwan Buddha Last Updesh) के बाद महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया था।


जनरल ए कनिंघम और ए. सी. एल. कार्लाइल (General A Kaningam and A.C.L Karlail in Kushinagar) को श्रेय जाता है इस जगह को प्रकाश में लाने का। इन्होंने 1861 में इस स्थान की खुदाई करवाई। खुदाई में छठी शताब्दी की बनी भगवान बुद्ध की लेटी प्रतिमा मिली थी। इसके अलावा रामाभार स्तूप और और माथाकुंवर मंदिर भी खोजे गए थे। 1904 से 1912 के बीच इस स्थान के प्राचीन महत्व को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (The Archaeological Survey KushiNagar, UP) (ASI) ने अनेक स्थानों पर खुदाई करवाई। प्राचीन काल के अनेक मंदिरों और मठों को यहां देखा जा सकता है।


पहले इस जगह का नाम कुशीनारा (Kushinara), बाद में कुंअर माथा का टेका (Kunwar Matha a teka)  और वर्त्तमान में इसका नाम कुशीनगर (Kushinagar) है।

मैं अपने परम आदरणीय प्रमोद सिंहजी, जो कि बहुत बड़े साहित्यकार हैं, उनके यहाँ आरा जिला से बलिया (Ara to Ballia Distance) के रवाना हुआ। मैं प्रमोद सिंहजी जे मिलने के लिए बेताब था और बलिया से पहुंच गया मऊ (Ballia to Mau Distance)।

मऊ जाने के बाद हम दोनों ने रात को अगली सुबह बनारस (Mau to Banaras Distance) जाने का प्लान बनाया। बाइक से ही हम बनारस (Mau to Banaras by bike) की यात्रा पूरी करने के लिए निकल पड़े। पर कुछ दूर जाने पर हमें खबर मिली की आज काशी में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi in Banaras 2021)का आगमन हो रहा है। हमने बनारस जाना उचित नहीं समझा। क्योंकि आज सड़कें डिस्टर्ब होंगी यह सोचकर।


फिर हम गहरे असमंजस में पड़ गए कि अब कहाँ जाएं? तभी प्रमोदजी ने कहा हम चलते हैं गोरखपुर और वहाँ से कुशीनगर।

और हम निकल पड़े मऊ, मुहम्मदाबाद से गोरखपुर (Muhammadabad Gohna to Gorakhpur) के लिए। सर्दी के मौसम में अंधेरा जल्दी हो जाता है। सूरज 5 बजे बादलों के बीच छिप जाता है। बीच-बीच में चाय (Tea shop on NH28) की चुस्की लेते हुए हम चले जा रहे थे। ठंडी से बाइक पर शरीर कांप रहा था। पर जल्दी ही हम गोरखपुर (Mau to Gorkahpur) पहुंच जाना चाहते थे। 

पिपरिया बाज़ार (Pipariya Gorakhpur UP) में हम शाम 5.30 बजे पहुंचे, जी की गोरखपुर से 10 किमी पहले था। तभी प्रमोदजी को याद आया कि यही पास के गाँव में उनका कोई रिश्तेदार रहता है और हमने यही रात बिताने का फैसला किया।

अंततः महरौली गांव में हमने रात गुजारी और सुबह 6 बजे ही निकल पड़े। पर गोरखपुर ना जाकर हमने फैसला किया सीधे कुशीनगर जाने का।

NH 28 Gorkahpur To Kushinagar

और देखते-देखते चाय की एक चुस्की के साथ हम खड़े थे उत्तरप्रदेश NH28 (NATIONAL HIGWAY 28 Lucknow To Barauni) नेशनल हाइवे 28 उत्तरप्रदेश लखनऊ से बरौनी। 

थोड़ी ही देर बाद हमारी बाइक उड़ान भर रही थी NH28 पर और हम 12 बजे पहुंच गए भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर। 

KushiNagar Outside & Inside


जैसे ही हम बुद्ध की निर्वाण स्थली के बाहरी गेट (Kushinagar main Gate Images) पर पहुंचे, सच पूछिये हमारे मन और मस्तिष्क में अध्यात्म के हजारों रंग तैरने लगे। ऐसा लगा जैसे हम किसी और दुनिया (Kushinagar images) में पहुँच गए।

Kushinagar वाहन पार्किंग


गेट से अंदर पहुंचने के बाद सबसे पहले हम गए वाहन पार्किंग (Kushinagar Vahan Parking) स्थल पर। जहाँ 30 रुपये (Kushinagar vahan parking charge) देने के बाद हमने अपनी बाइक पार्क की और इसके बाद हम चल पड़े यहाँ के हर दृश्य को अपने मन मस्तिष्क में उतारने।

Kushinagar INTERPRETATION- कुशीनगर व्याख्या केंद्र


हम खड़े थे कुशीनगर व्याख्या केंद्र (Kushinagar INTERPRETATION) में। यह वह केंद्र है जहाँ एक स्क्रीन पर डाक्यूमेंट्री (Kushinagar Documentry) के माध्यम से कुशीनगर और बुद्ध जे जुड़े इतिहास को बताया जाता है। इस स्थल का वीडियो (Kushinagar Videos) भी बड़ी खूबसूरती से बनाया गया है।  

कुशीनगर स्तूप- KushiNagar Stoop


दिव्यता और भव्यता से परिपूर्ण आकाश को छूते भगवान बुद्ध के इस स्तूप (Buddha Stupa in Kushinagar) को जैसे ही आप देखेंगे, बस अपना सर उठाकर देखते ही रह जाएंगे। यही वह स्तूप है जहाँ भगवान बुद्ध ने अपने शरीर का परित्याग किया था।

इस विशाल स्तूप में शयन मुद्रा में भगवान बुध्द (Bhagwan Buddha Moorti in Kushinagar)  की प्रतिमा पर जब एक बार नज़र पड़ती है, हमारी नज़र वही गड़ जाती है। इस प्रतिमा को देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता हैं मानो बुद्ध आराम से सो रहे हैं।

स्तूप के परिसर में हर तरफ खंडहर नज़र आते हैं। ये वही खंडहर हैं, जहाँ पहले बौद्ध भिक्षुओं (Bauddh Bhikshu) के रहने का निवास स्थल हुआ करता था। यही पर बौद्ध भिक्षु शिक्षा, दीक्षा (Bauddh Bhikshu Shiksha Diksha) लेते थे।

कई सुंदर मठों और मंदिरों (Kushinagar Temples) को भी आप यहाँ देख सकते हैं। जिसमें भगवान बुद्ध की सुंदर-सुंदर प्रतिमाएं हैं।

पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग- The Archaeological Survey KushiNagar

कुशीनगर के पुरातात्विक विभाग (The Archaeological Survey KushiNagar) में हम कुछ जानकारी हासिल करने के लिए पहुंचे। जहाँ कुशीनगर खनन और वर्तमान कार्यों से जुड़ी कई बातें हमें जानने को मिलीं।

KushiNagar Museum- कुशी नगर म्यूजियम


आप कुशीनगर आएं और म्यूजियम न देखें तो फिर आपका आना बेकार है। अति सुंदर, अति सराहनीय है कुशीनगर का म्यूजियम (KushiNagar Museum). इस म्यूजिम में आपको पुरातत्व से जुड़ीं कई चीजें (Things in KushiNagar Museum) देखने को मिलती है।

जैसे इष्टिकाएँ, पत्थर, भगवान बुद्ध की कई मुद्राओं में अनेकों मूर्तियां आदि।

विदेशी मंदिर- Foriegner Buddha Temples in KushiNagar



जैसा कि आप सभी को यह पता होगा कि भगवान बुद्ध को मानने वाले ना सिर्फ भारत के लोग हैं, बल्कि विदेशों में भी बुद्ध को मानने वाले लोगों की संख्या अधिक मात्रा में है और इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है यहाँ विदेशी बुद्ध के मंदिरोंको देखकर।

चीन का मंदिर (China Temple in Kushinagar),  जापान का मंदिर (Japanese Temple in Kushinagar), तिब्बत का मंदिर (Tibbat Temple in Kushinagar),  कोरिया के मंदिर (Korea Temple In Kushinagar) कुशीनगर के विशाल प्रांगण में देखने योग्य हैं।


परिसर में लंबे, चौड़े गुज़रती सड़क के दोनों तरफ आपको कई दुकानें( Shops In KushiNagar) देखने को मिल सकती हैं। बैग की दुकान से लेकर खाने, पीने की (Tea Shop In KhushiNagar) सामग्री की दुकानें भी उपलब्ध हैं।

माथा कुंअर मंदिर- Matha Kunar Temple


पर्यटकों का केंद्र कुशीनगर के परिसर में ही एक तरफ है माथा कुंअर का मंदिर (Matha Kunar Mandir KushiNagar)। यह इस परिसर का बेहद महत्वपूर्ण स्थल है। मंदिर के अंदर ध्यान मुद्रा में बैठे भगवान बुध्द की प्रतिमा अति रमणीय है।

श्री बिरला हिन्दू मंदिर



भगवान बुध्द की इस निर्माण स्थली में ही मौजूद है श्री बिरला हिन्दू मंदिर (Shri Birla Hindu Temple-KushiNagar) जो श्रद्धालुओं की आस्था का परम केंद्र है।

कुशीनगर से प्रस्थान

लगभग 4 घण्टे से ज़्यादा कुशीनगर परिसर में समय गुज़ारने के बाद एक चाय पीने के साथ ही हम प्रस्थान कर  चुके थे मऊ जिले (KushiNagar To Mau NH28) की तरफ। 



भगवान बुद्ध की निर्वाण स्थली की हर एक झलक हमारी आंखों के सामने तैर रही थी। वहां के वातावरण के दृश्यों को अपने हृदय में बसाये उत्सुक मन से पहुंचे मऊ। 

कुशीनगर का यह सफर (Travel To KushiNagar) निश्चित तौर पर हमारे लिए हमेशा यादगार रहेगा। उम्मीद है, हमारे साथ आप भी कुशीनगर को अपने करीब से देखे होंगे। कैसा लगा हमारा यह पोस्ट कमेंट्स में बताईये और पढ़ते रहिये हमारा ब्लॉग www.silsilazindagika.in.net



No comments

Advertisment