Page Nav

HIDE

Gradient Skin

Gradient_Skin

Ads

यह भी पढ़िए

latest

Rural Scene: गाँव के वो दृश्य जिसे आप भूल गए होंगे

 मैं आज भी शहर से ज़्यादा अपने गाँव (Why Village is better than City) को पसंद करता हूँ। क्योंकि शहर ( City Scenario ) उम्र चुरा लेता है और गा...

 मैं आज भी शहर से ज़्यादा अपने गाँव (Why Village is better than City) को पसंद करता हूँ। क्योंकि शहर (City Scenario) उम्र चुरा लेता है और गाँव ज़िन्दगी (Village Life) के दिनों को बढ़ा देता है।

शहर के (Pune City length) चौड़े और चिकने रोड पर चलती गाड़ी से जब अपना सर झुकाकर देखता हूँ तो बेहद अच्छा लगता है। पर सबसे अच्छा तो तब लगता है जब मैं गाँव की पगडंडी (Village Pagdandi) पर कोई गाना गुनगुनाते हुए आगे बढ़ता हूँ और कोई देखते ही पूछ बैठता है- का हो का हाल बा?

कही आप भूल तो नहीं गए हैं असली गाँव की असली झलक?

शहर मुझे परेशान करता है। शहर मुझे चुनौती देता है। मुझे ज़िंदा रहने के लिए भागने को मजबूर करता है। मर-मर कर जीने को कहता है।

Must Read: भारत के 6 motivational speakers

लेकिन मेरा गाँव! नहीं! मेरा गाँव मुझसे कुछ नहीं कहता है। वो तो सुकून देता है। हर पल जीने का जुनून देता है। हौसला बढ़ाता है, जोश बढ़ाता है। ज़िन्दगी देता है। एक ऐसी ज़िदंगी जिसमें सचमुच सिर्फ ज़िन्दगी है।


मुझे तो याद है अपना गाँव और हमेशा याद आता है अपना गाँव? पर आपको? अगर सचमुच आपको भी याद आता है आपको आपका गाँव तो चलिए आज आप कही भी रहकर गाँव की झलक करीब से देखेंगे। क्योंकि मेरी तस्वीरों में सिर्फ और सिर्फ गाँव बसा है।

Must Read: जीयो ऐसे की लोग जीयें आपके जैसे

गाँव के खेत ( Fields Of Village)

कही आप भूल तो नहीं गए हैं असली गाँव की असली झलक?

वाह! क्या हरियाली (Greenery of Village) है? लहलहाते खेत हमारे गाँव के ही नहीं बल्कि हमारे उस भारत (Dharti sunahri Ambar Nila) देश की पहचान हैं जिनके बिना भारत अधूरा है। दूर-दूर तक फैले हुए इन खेत और खलिहानों (Khalihan Images of Village) से गाँव की खुशबू चारों तरफ फैली हुई है, जिनसे एक मुकम्मल हिंदुस्तान बना हुआ है।

गोबर (Gobar)

कही आप भूल तो नहीं गए हैं असली गाँव की असली झलक?
गोबर का उपला

गाँव के किसी भी घर के दरवाजे पर पहली चीज़ अगर कुछ आपको देखने को मिलती है वो है गोबर। भले ही हमारा भारत बदल रहा है पर कुछ परम्परायें कभी बदल नहीं सकती।


उपला/गोइठा (Upla)

कही आप भूल तो नहीं गए हैं असली गाँव की असली झलक?

भोजपुरी में इसे लोग गोइठा कहते हैं। बल्कि कई क्षेत्रों में गोबर से बनी हुई इस चीज़ को गोइठा ही कहा जाता है और कई जगहों पर लोग इसे उपला कहते हैं। आज भी खाना बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है।


पालानी/मड़ई (Marai)

कही आप भूल तो नहीं गए हैं असली गाँव की असली झलक?
                                पालानी/मड़ई

इनके बिना गाँव, गाँव हो ही नहीं सकता। आज गाँव में भले ही महल और भवन नज़र आ जाएं पर किसी कोने में एक मड़ई/पालानी ना हो तो घर और गाँव अधूरे लगते हैं।


दुवरा/दुवार (Duvra)

   Silsila Zindagi Ka Always Loves to all       animals 

अगर आप गाँव से हैं तो इस शब्द से वाकिफ़ होंगे। क्योंकि हर घर इसके बिना सूना है। गाँव के घर में दुवरा ना हो तो फिर वह घर, घर नहीं। अगर आपके पास भी है दुवरा की तस्वीर तो हमें भेजिए।


खूंटा (Khunta)

कही आप भूल तो नहीं गए हैं असली गाँव की असली झलक?

हमारे तरफ इसे खूंटा कहा जाता है। अलग-अलग क्षेत्रों में इसे बेशक अलग नाम से जाना जाता है। जानवर बाँधने के लिए हर घर में खूंटा का ही इस्तेमाल किया जाता है।


चापाकल (HandPump)

कही आप भूल तो नहीं गए हैं असली गाँव की असली झलक?

नल, नलका, मोटर, टंकी चाहे लाख दिखने लगे। पर आज भी गाँवों में चापाकल के पानी के बिना प्यास नहीं बुझती है। आज भी हर मोड़, हर राह, हर घर, हर आँगन चापाकल के बिना सूना-सूना लगता है।


कुटी कटना मशीन (Kuti Katna Machine)

कही आप भूल तो नहीं गए हैं असली गाँव की असली झलक?

आपके क्षेत्र में बेशक इसे किसी और नाम से जाना जाता होगा, पर हमारी तरफ तो लोग इसे कुटी कटना मशीन ही कहते हैं। यह हर दरवाज़े की शोभा जैसा है। 


जुगाड़ु सीढ़ी (Jugadu Stair)

कही आप भूल तो नहीं गए हैं असली गाँव की असली झलक?

सीढियाँ लाख सुंदर देख लीजिए लेकिन जुगाड़ु सीढ़ी (Jugadu Stair) के बिना मज़ा नहीं आता। आसमान को छू सकते हैं आप जुगाड़ु सीढ़ी के माध्यम से। 


टूटी सायकल (Broken Cycle)

आहाहा!!☺️इसके बिना घर का वातावरण फीका-फीका सा लगता है। सब कुछ सुंदर सा दिखेगा पर किसी कोने में टूटी सायकल (Broken Cycle) ना दिखे तो घर सुंदर नहीं लगता है।


चूल्हा (Chulha)

कही आप भूल तो नहीं गए हैं असली गाँव की असली झलक?

ये तो गाँव कर हर घर (Chulha)  के असली पहचान है। शाम को आज भी किसी घर से उठते हुए धुवें को देखकर जुबां पर एक ही बात होती है- "शाम हो गई"। और यह शाम को चूल्हे से उठता धुआं (Village Chulha) आज भी गाँव के रमणीयता में चार चाँद लगा देता है।


बोरसी (Borsi)

कही आप भूल तो नहीं गए हैं असली गाँव की असली झलक?

कुछ लोगों के लिए यह नया हो सकता है। कुछ लोगों के यहां इसे किसी और नाम से जाना जाता होगा और कही तो बनता भी नहीं होगा। पर आपको बता दें यह बोरसी है बड़ी कमाल की चीज़। लिट्टी पका लीजिये। ठंड के मौसम में इसमें अलाव जला लीजिये। यह बोरसी एक अलग मज़े का एहसास कराती है।


दोस्तों! एक पोस्ट में गाँव की हर तस्वीर, हर याद, हर चीज़ को दिखाना बहुत मुश्किल है। इसलिए आज के पोस्ट में बस इतना ही नहीं। और भी कई यादों के साथ, तस्वीरों के साथ हम आपसे अगले पोस्ट में मिलेंगे।


अगर आपके पास भी हैं गाँव की कुछ तस्वीरें, कुछ यादें तो शेयर कीजिये हमारे ब्लॉग www.silsilazindagika.in.net के साथ। मिलते हैं आपसे ज़ल्द ही। 







No comments

Advertisment