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Real Story: वह वेश्या थी पर मोहब्बत हो गया था उससे

रात के 2 बजे..जुहू-वर्सोवा लिंक रोड (Juhu -Versova Link Road Mumbai ) पर मेरा ऑटो रुकता है और मैं ऑटो वाले ( Juhu To Versova distance ) को प...

रात के 2 बजे..जुहू-वर्सोवा लिंक रोड (Juhu-Versova Link Road Mumbai) पर मेरा ऑटो रुकता है और मैं ऑटो वाले (Juhu To Versova distance) को पैसे पे करने के बाद पास ही सायकल पर खड़े (Prostitute in Juhu) चाय वाले के पास पहुंचता हूँ और एक चाय (Tea Shop in Juhu) मांगने के बाद मोबाइल निकालने के लिए जेब में हाथ डालता हूँ तो सामने वो आज फिर सामने खड़ी थी (Story of a prostitue) और नज़र से नज़र मिलते ही वो मुस्कुराती है और भी हल्की मुस्कान (Real story of a Prostitute)के साथ मोबाइल देखने लगता हूँ। यह रंजना के साथ तीसरी मुलाकात थी। जानना चाहेंगे कौन थी रंजना?

Real Story: वह वेश्या थी पर मोहब्बत हो गया था उससे

2017...! एक सीरियल लेखन का कार्य मुंबई के जुहू में चल रहा था। शाम 5 बजे से जाता था और रात 2, 3 या कभी-कभी सुबह 4 बजे ही लौटना होता था। अक्सर जुहू-वर्सोवा लिंक से गुजरते हुए सायकल (Cycle Tea Shop in Juhu) वाले चाचा के पास रुककर रोज चाय पीने के बाद जल्दी से घर निकलने की कोशिश करता था।

Must Read: एक वेश्या के साथ प्रेम

एक दिन चाय पीने के बाद पैसे देने के लिए जैसे ही अपना वॉलेट निकाला एक आवाज़ सुनाई देती है।

"ऐ सुनो ना! अपुन के भी चाय के पैसे दे दोगे? मेरा पर्स गिर गया"। 

मैंने आवाज़ की तरफ मुड़कर देखा। एक खूबसूरत लड़की (Girl in Juhu Mumbai) बिखरे बालों में खड़ी थी। फिर वो बोलती है "प्लीज़! दे दो ना! मैं दे दूंगी कल। वैसे भी तो तुम यहाँ रोज आते ही हो"। कहते हुए मुस्कुराई।

मैंने चाय वाले को अपना और उस लड़की के पैसे दिया। 2-3 लोग वहाँ खड़े थे मुझे देख रहे थे। और मैं जब लड़की की ओर देखा तो एक गाड़ी की विंडो के पास खड़ी होकर किसी से बात कर रही थी। तभी चाय वाला बोल पड़ता है।

"इस साली का daily का आदत है। पर्स गुमने का बहाना मारती है। किसी से चाय पीती है तो किसी से इडली खाती है।"

मैंने चाय वाले को देखा और बोला- छोड़ो न भाई क्या हो गया? इंसान ही इंसान की मदद करता है। तभी चाय की दुकान पर एक गाड़ी से 4-5 लोग उतरते हैं और चाय वाला उन्हें चाय देने में व्यस्त हो जाता है।

मैं इधर-उधर देखता हूँ। वो लड़की कही नज़र नहीं आती है। मैं एक ऑटो को हाथ देकर बैठता हूँ और वर्सोवा (Juhu to Versova auto Fare) के लिए निकल पड़ता है।

जुहू से वर्सोवा वाली रोड में 24/7 मेडिकल (24/7 Medical in Juhu contact) पर रुककर दूध लेने जाता हूँ, यह सोचकर कि सुबह दूध लेने नीचे ना उतरना पड़े। 


मेडिकल (24/7 Medical in Versova contact) से दूध लेने के बाद मैं जैसे ही ऑटो के पास आता हूँ देखता हूँ कि वह लड़की खड़ी है जिसके चाय के पैसे मैंने दिए थे। मुझे देखते ही मेरी तरफ हाथ बढ़ाकर मुस्कुराते हुए बोली- hi, i am रंजना! तुम्हारा नाम क्या है?

मैं थोड़ा चकित हुआ। हिचकिचाया और उसकी तरफ धीरे-धीरे हाथ बढ़ाते हुए धीरे से बोला- मेरा नाम अनिल है।

और वह हंसते हुए बोली- अनिल कपूर! और मैंने कहा- ना, ना सिर्फ अनिल! अच्छा हटो मुझे जल्दी घर जाना है। और रंजना मुझे रास्ता देते हुए बोलती है- कल आना। इसी समय! इसी जगह! अपुन तुम्हारा इंतज़ार करेगी।"


मैं बिना कुछ बोले ऑटो (Prostitute Ki kahani) में बैठ गया। ऑटो चल पड़ती है। मैं चलती ऑटो से अपना सर बाहर निकालकर पीछे देखता हूँ। रंजना एकटक देखे जा रही थी और मैं भी कुछ दूर तक देखकर अपना सर ऑटो के अंदर कर लेता हूँ।


मैं निःशब्द! ऑटो की खड़खड़ाती आवाज़ के बीच भी एक सन्नाटा! एक खामोशी! हज़ारों साल???? कौन है रंजना? क्या बात करना चाहती है मुझसे? क्या चाहिए इसे...?


हज़ारों सवाल लिए अपने फ्लैट पर पहुंचता हूँ मैं। नींद नहीं आ रही। बार-बार रंजना का चेहरा मेरी आँखों के सामने घूम रहा है। बार-बार यही बात- कल आना। इसी समय! इसी जगह! अपुन तुम्हारा इंतज़ार करेगी।"


नींद खुलने के समय आखिरकार मुझे नींद आती है। दिन के 12 बजे एक कप चाय के साथ फिर से वही सवाल! रंजना (Ranjana in Juhu) की वही बात! और फाइनली शाम तक जद्दोजहद के बाद मैं रात (Prostitute in Night Mumbai)को निकल पड़ता हूँ रंजना से मिलने।


उसी समय! उसी जगह! वही मैं! वही निगाहें! पर रंजना कही दिखती नहीं है। करीब 20 मिनट गुज़र जाते हैं। रंजना की अब तक कोई खबर नहीं मिलती है। मैं अनमने ढ़ंग से थोड़ा इरिटेट होते हुए सायकल वाले चाय की तरफ बढ़ने लगा। तभी वहाँ एक गाड़ी आकर रुकती है और झट से गेट खुलता है। रंजना उस गाड़ी से बाहर निकलती है और ज़ोर से दरवाज़ा बंद करती है। गाड़ी आगे बढ़ जाती है और रंजना गुस्से में मेरी तरफ बढ़ती है।

मैं मुस्कुराते हुए कहता हूँ- आ गई तुम? कब से खड़ा हूँ मैं। तभी रंजना गुस्से में कहती है- "तो क्या हुआ? एहसान कर रहेला क्या अपुन पे?" 

रंजना को इस तरह गुस्से में देखकर मैं डर गया और वहाँ से जाने लगा। क्योंकि कुछ लोग मेरी तरफ देखने लगे थे। 

एक और गाड़ी वहाँ आकर रुकती है और रंजना उस गाड़ी वाले से बात करने लगती है। मैं चाय की दुकान पर आता हूँ और पूरी तरह से डरा हुआ हूँ। चाय पीते हुए कई सवाल! क्या यह कल वाली रंजना थी? अगर हाँ मुझे बुलाने के बाद बदल क्यूँ गई? तरह-तरह के सवाल। 

कई बोझिल विचारों को लेकर मैं फिर उसी जगह पर जाने लगा जहाँ पर रंजना को छोड़कर आया था। क्योंकि पता नहीं ऐसा क्यूँ मुझे लग रहा था कि रंजना का गुस्सा एक फ्रस्ट्रेशन है। खीझ है। खुद से निराशा है।

और थोड़ी दूर आगे जाने के बाद ही रंजना सामने से आती हुई नजर आती है। हम दोनों करीब आते हैं और एक-दूसरे को एकटक देखने लगते हैं। ऐसे, जैसे कितने वर्षों से हमारी आपस में जान-पहचान है।

थोड़ी देर एक-दूसरे को देखने के बाद जैसे ही मैं कुछ बोलने को करता हूँ रंजना मेरे को गले लगाते हुए फफककर रोने लगती है। और मैं चौकते हुए उसके सर पर हाथ रखता हूँ और पूछता हूँ- क्या हुआ रंजना?

रंजना रोते (Prostitute HeartTouching story) हुए कहने लगती है- "बहुत दर्द होता है। अपुन की ज़िंदगी नरक है। सब सोते हैं। निचोड़ते हैं। और पैसे देते समय वादाच तोड़ देते हैं। जान तो है नहीं, बस जिस्म बची है। और इसे भी बेचकर पेट नहीं भरता। ना जाने क्या गुनाह किया था अपुन पिछले जन्म में? जीने का मन नहीं करता"। और ना जाने क्या-क्या रंजना ने एक सांस में बोल दिया था।

मैं किसी तरह रंजना को शांत कराया और उसके आंसू पोछते हुए खुद की आंखों के आंसूओं को छिपा नही पाया मैं। मेरी आँखों में आंसू देखकर रंजना (Prostitute in Mumbai) मेरी आंसू पोछते हुए और हल्की मुस्कान के साथ बोलती है- "आज अपुन को खुद पर नाज़ हो रहेला। मालूम है क्यों"? मैंने पूछा- क्यों? तो वो नम आँखों से बोल पड़ती है- "पहली बार इस शहर में एक वेश्या (Emotional story of a prostitute) के लिए अपुन ने किसी इंसान को रोते हुए देखा।" और शायराना अंदाज़ में रंजना कहती है-

"बहाया ना करो आंसूओं को संभालकर रखो, 

यूं बेवज़ह दिल को हथेली पर ना निकालकर रखो"।

 और मैं आश्चर्य, स्तब्ध और अमूक खड़ा!!!

चाय (Tea shop in Versova Mumbai) की दुकान पर चाय की चुस्की के साथ खामोशी टूटती है। और मेरा पहला सवाल- तुम धंधा कब से कर रही हो रंजना? चाय का घूँट लेते हुए रंजना पूछती है- पत्रकार हो? एंटरवेयू (Interview) लोगे अपुन का?

और मैं मुस्कुराते हुए बोल पड़ता हूँ- "ना, ना मैं लेखक हूँ। तुम्हारी कहानी लिखूँगा"। तो रंजना  चौकते हुए कहती है- "ना बाबा ना! अपुन को अपनी कहानी किसी को नहीं बतानी। क्या पता तुम फ़िल्म बना दो"। और फिर शायराना (Shayar Girl Story) अंदाज़ में रंजना कहती है-

"दर्द से भरा है मेरी ज़िंदगी का फ़साना,

हम बता भी देंगे तो तुम लिख ना पाओगे।"

और मैं कहता हूँ- "अरे वाह! तुम तो शायर हो"।

रंजना- ना, ना शायर थी नही। ग़म और दर्द ने शायर बना दिया"।

तभी एक कार आकर वहाँ रुकती है और विंडो खुलते ही एक बंदा अपना चेहरा बाहर निकालकर कहता है- "ऐ चलेगी क्या? आजा!"

और रंजना मना करते हुए कहती है- "नहीं जाना अपुन को। आगे जा।"

और बंदा फिर कहता है- "आजा डबल पैसे दूंगा। चल"।

रंजना इरिटेट होते हुए बोलती है- "बोला ना, नहीं जाना अपुन को।" विंडो बंद होता है और गाड़ी आगे बढ़ जाती है।

रंजना झल्लाते हुए और गाली देते हुए कहती है- "मा....द!(Prostitute Abusing Video) गाड़ी में लेकर जाएंगे। कही खड़ी करेंगे। और फिर ये करो, वो करो...! ऐसे करो!पैसे देने के समय बोलेंगे ये ले 100 रुपये! मज़ा नहीं आया! थू.....!!!

और मैंने रंजना के कंधे पर हाथ रखते हुए प्यार से कहा- "Relax रंजना! Relax! चलो यहां  से। देखो सब तुम्हें देख रहे हैं और मुझे भी। चलो, चलते हैं।"

और रंजना ऊंची आवाज़ में कहती है- "हाँ, जाओ तुम, जाओ यहाँ से। वर्ना मेरे साथ तुम्हें लोग देखेंगे तो कहेंगे कि एक वेश्या के साथ खड़े हो। कैसे मुंह दिखाओगे? जाओ"।

और मैंने रंजना के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- "नहीं रंजना। ऐसी बात नहीं। मेरा कहने का मतलब ये नहीं था।"

इतना कहते ही मैंने एक ऑटो को हाथ दिया और अंजना का हाथ पकड़कर उसमें बिठाया और ऑटो वाले को बोला "वर्सोवा"।

ऑटो सड़क पर दौड़ रहा था। रंजना ऑटो से बाहर मूक अवस्था में देख रही थी और ऑटो वाले के मोबाइल से गाने की धीमी आवाज़ आ (Prostitue singing in Auto) रही थी- "मेरी भीगी भीगी सी पलकों पे रह गए"।

ऑटो वर्सोवा समंदर (Prostitute on Versova Beach Mumbai) के किनारे रुकता है। मैं उतरकर ऑटो वाले को पैसे देने लगता हूँ और रंजना उतरते हुए ऑटो से शायरी कहती है- 

"क्या जरूरी है कि हम हार कर जीतें, 

इश्क़ का खेल बराबर भी तो हो सकता है"। 

और मैं पैसे देने के बाद स्माइल करते हुए बोलता हूँ- "वाह शायरा महोदया! वाह!"

रंजना बिना कुछ बोले एक तरफ जाकर बैठ जाती है और मैं भी उसके पास जाकर बैठ जाता हूँ। दोनों खामोश! चुप!

और करीब एक मिनट की खामोशी के बाद रंजना मेरे कंधे पर अपना सर रखती है और अपनी जीवन की कहानी शुरू करती है। वो कैसे यहां तक पहुंची? किसने उसे वेश्या बनाया? और अब कैसे रहती है? कहाँ रहती है? और क्या हुआ आगे? 

यकीन मानिए जब आप रंजना की दर्द भरी कहानी सुनेंगे तो कम से कम दो दिनों तक रोयेंगे और बिना देखे ही रंजना का चेहरा आपकी आंखों में झलकने लगेगा।

तो मिलते हैं अगले पोस्ट में Prostitute Story Part 2  के साथ। कमेंट्स में बताईये कैसी लग रही है रंजना की ही Real Story? (Real Story Of Ranjna)....! ju

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