मैं हमेशा सोचता हूं कि कभी उन लड़कियों पर कुछ लिखूं, जो रात दिन कोठे पर अपनी जिंदगी के दिन गिन रही हैं। जी हाँ, क्या आपने कभी सोचा है उनके ब...
मैं हमेशा सोचता हूं कि कभी उन लड़कियों पर कुछ लिखूं, जो रात दिन कोठे पर अपनी जिंदगी के दिन गिन रही हैं।
जी हाँ, क्या आपने कभी सोचा है उनके बारे में?
क्या कभी आपने महसूस किया है उनका दर्द?
क्या कभी आपने ख्याल किया है की क्या गुजरती है उनके दिल पर?
नहीं, क्योंकि हर मर्द को उनके साथ रातें तो रंगीन करनी हैं, पर उनके बारे में सोचने को किसको पड़ी है?
एक गजल की पंक्तियां हैं:
हर घड़ी एक नया तकाज़ा है,
dard-ए सर बन गया बदन मेरा!
उन वेश्याओं का दर्द (pain of prostitutes)शायद कोई नहीं समझ पाता है, जो पुरानी होती और खंडहर सी बनती दीवारों और खिड़कियों की आड़ में अपनी देह सौंपने के लिए किसी ग्राहक के इंतजार में खड़ी अपनी आँखें बिछाए बैठी रहती हैं।
मुंबई संताक्रुज और विले पार्ले की (Mumbai red light area images) बीच रात को ऑटो में बैठकर अपने लिए हर रोज ग्राहक ढूंढने वाली महिमा बताती है "उम्र ढलने लगी है साहब! पहले बोहोत अच्छी लगती थी जवानी में। पर उम्र एक जैसी नहीं रहती है ना साहब। अब जैसे तैसे कोई ग्राहक मिल जाते हैं। उसमें भी बहुत मगजमारी करते हैं। हां, अब भी गुजारा हो जाता है, पर बड़ी मुश्किल से।"
और पान वाले दांत दिखाते हुए हंसती है और ऑटो आगे बढ़ जाता है।
नैना की कहानी (Story of a prostitute) तो आपको सुननी ही पड़ेगी। हाथ में चाय का कप और एक ब्रेड खाती हुई नैना कहती है - एक अपुन का पति था। साला कहने को। मेरे अलावा दो शादियां और कर रखा था। जिस्म का प्यासा था। साले को नई नई औरतें का मजा चाहिए था। छोड़ दी मैंने उस गां......को!!!
जब जिस्म ही बेच के कमाना है तो अपने दम पर जीयेंगे। आजादी से जीयेंगे।
नैना से जब मैंने पूछा- तुम्हारा घर कहां है?
तो नैना कहती है__ हमारा घर तो हर जगह है। अब तो रोड पर भी रात गुजार लेते हैं साहब।
प्रेमा जो अभी 24 साल की है। खूबसूरत जवान और बहुत रोवाब में दिखती है। उसकी बाहरी खुशी पर मत जाइए। उसके दिल की अंदर जो कहानी दफन है, जब आप सुनेंगे तो यकीन मानिए..... रो देंगे आप!
Story Of Prema
प्रेमा अपने खाने की थाली को एक तरफ सरकाती है और एक टूटी हुई कुर्सी पर मुझे बैठने का इशारा करती है और दूसरी दिशा में देखते हुए कहती है।
"जीने का मजा नहीं आता। दर्द है इस सीने में। अरे हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था?"
मेरा घर उत्तरप्रदेश है। माँ-बाप की लाडली थी। एक छोटा भाई था जो विकलांग था। पिताजी दिहाड़ी का काम करते थे। मेरी शादी की बात चल रही थी। पिताजी के पास बहुत पैसे तो नहीं थे, लेकिन मेरी सुंदरता देखकर कोई भी शादी के लिए हां बोल देता था।
पर अपने घर की हालात और भाई की हालात देखकर मैंने कुछ साल शादी करने का फैसला कर लिया। कॉलेज में पढ़ाई के साथ -साथ मैंने मॉल में काम करना शुरू कर दिया।
साहब! यही से मेरी जिंदगी में तूफान दस्तक देता है। मेरे साथ मॉल में काम करने वाला एक लड़का मुझे इतना चाहने लगा की उसकी चाहत को देखकर मैं दीवानी हो गई और उससे प्यार कब हुआ मुझे पता ही ना चला।
मैंने उसे अपना सब कुछ सौंप दिया। जिस्म से लेकर जान तक। उसे देखकर कभी लगा ही नहीं की हमारे साथ कुछ गलत कर सकता है।
एक दिन उसने मुझसे और मेरे बाबूजी से बोला की प्रेमा बहुत पढ़ने में तेज है। अगर यह किसी बड़े शहर में रहेगी तो बहुत पैसे कमाएगी।
बाबूजी यह बात सुनकर खुश हो गए। और उस लड़के ने मुझे नौकरी दिलाने का वादा कर मुंबई लेकर चला आया।
कई दिनों तक मुंबई में मेरे साथ खेलता रहा। जब भी मैं नौकरी की बात करती थी बोलता था मैं हूं ना।
और एक दिन साहब उसका असली सच मेरे सामने तब आया जब बोला - देख प्रेमा! छोटी मोटी नौकरी करने से कितना कमा लेगी? दस हजार, बीस हजार यही ना!
एक दो लोग हैं मेरे जानने वाले, जो तुझे लाखों दे देंगे। बस उनके साथ तुम्हें सोना है।
साहब यह बात जैसे ही मैने सुनी मुझे झटका लगा। जिस पर यकीन करती थी, वह ऐसा कैसे कर सकता है?
मैंने मना किया तो मुझे डराया, धमकाया। अपने घर की परिस्थिति को देखते हुए मैंने यह मंजूर कर लिया। और यहां से शुरू हुई मेरी एक नई जिंदगी।
जिसमें दर्द है, सिकन है, बेरंग उम्मीदें हैं।
साहब! घर पर खूब पैसे भेजे मैंने। बाबूजी को मैने बता दिया था मेरी बड़ी अच्छी नौकरी लग गई है।
लेकिन एक दिन मेरे गांव का लड़का जो मुंबई में ही रहता है, उससे ही मैंने ऑटो से अपना चेहरा निकालकर चलने को बोला।
पर जब मैंने देखा तो मेरे होश उड़ गए। इसके बाद एक और कहानी शुरू होती है। उस लड़के ने जाकर पूरे गांव में हल्ला कर दिया की मैं मुंबई में वेश्या का काम करती हूं।
यह सदमा मेरे बाबूजी सहन नहीं कर पाए साहब। और एक दिन पता चला वो इस दुनिया से.....!
कहते -कहते प्रेमा चिल्लाकर रो पड़ती है और अंदर भाग जाती है।
मेरी आंखें आंसुओं से भर जाती हैं। मैं मूक स्तब्ध उठता हूं और वहां से चल पड़ता है।
मेरी आंखों के सामने अंधेरा और लबों पे हजारों सवाल!
एक वेश्या का दर्द, एक वेश्या का जीवन कितने गमों से भरा है। कितना सिकन है। कितनी नाउम्मीद भरी जिंदगी है।
ना जाने ऐसी कितनी वेश्याओं की कहानी है जो हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं। लेकिन हम सोचना ही नहीं चाहते हैं।
इस हकीकत कहानी के साथ मैं आपसे विदा लेना चाहता हूं, इसी वादे के साथ की फिर मिलेंगे एक नए विषय के संग। पढ़ते रहिए हमारा ब्लॉग "Silsila Zindagi Ka".
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