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Bashir Badr 7 Best Ghazals: पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो

Bashir Badr 7 Best Ghazals: पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो

Bashir Badr 7 Best Ghazals: पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो


बशीर बद्र उर्दू शायरी के चुनिंदा शायरों में से एक हैं। उनके हर
अलफ़ाज़ बोलते हैं। उनकी ग़ज़लें
(Bashir Badr Best  Ghazals)
जहाँ मोहब्बत की कहानी कहती हैं,
वही उनकी कवितायें (Bashir Badr Hindi Poem) बचपन और जीवन
के फसानों को बयाँ करती हैं।
आज के पोस्ट में हम "silsila zindagi
Ka" के माध्यम से लेकर आये हैं
Bashir Badr 7 Best Ghazals.
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Bashir Badr Ghazal 1
Bashir Badr 7 Best Ghazals: पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो

  1. सुनसान रास्तों से सवारी न आएगी-Bashir Badr Ki Ghazal 1

सुनसान रास्तों से सवारी न आएगी
अब धूल से अटी हुई लारी न आएगी


छप्पर के चायख़ाने भी अब ऊंघने लगे
पैदल चलो के कोई सवारी न आएगी

तहरीरों गुफ़्तगू में किसे ढूँढ़ते हैं लोग
तस्वीर में भी शक्ल हमारी न आएगी

सर पर ज़मीन लेके हवाओं के साथ जा
आहिस्ता चलने वाले की बारी न आएगी

पहचान हमने अपनी मिटाई है इस तरह
बच्चों में कोई बात हमारी न आएगी

Bashir Badr Ghazal 2


पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो रवानी है- Bashir Badra Ki Ghazal 2

 

पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो रवानी है
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है

फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है
इस में तेरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है

एक ज़हन-ए-परेशाँ में वो फूल सा चेहरा है
पत्थर की हिफ़ाज़त में शीशे की जवानी है

क्यों चांदनी रातों में दरिया पे नहाते हो
सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है

इस हौसला-ए-दिल पर हम ने भी कफ़न पहना
हँस कर कोई पूछेगा क्या जान गवानी है

रोने का असर दिल पर रह रह के बदलता है
आँसू कभी शीशा है आँसू कभी पानी है

ये शबनमी लहजा है आहिस्ता ग़ज़ल पढ़ना
तितली की कहानी है फूलों की ज़बानी है

Bashir Badr Ghazal 3
Bashir Badr 7 Best Ghazals: पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो


सुनो पानी में किसकी सदा है-Bashir Badr Ki ghazal 3

 

सुनो पानी में किसकी सदा है
कोई दरिया की तह में रो रहा है

सवेरे मेरी इन आँखों ने देखा
ख़ुदा चारों तरफ़ बिखरा हुआ है

समेटो और सीने में छुपा लो
ये सन्नाटा बहुत फैला हुआ है

पके गेहूँ की ख़ुश्बू चीखती है
बदन अपना सुनहरा हो चला है

हक़ीक़त सुर्ख़ मछली जानती है
समंदर कैसा बूढ़ा देवता है

हमारी शाख़ का नौ-खेज़ पत्ता
हवा के होंठ अक़्सर चूमता है

मुझे उन नीली आँखों ने बताया
तुम्हारा नाम पानी पर लिखा है

Bashir Badr Ghazal 4


ज़मीं से आँच ज़मीं तोड़कर निकलती है- Bashir Badra ki Ghazal 4

 

ज़मीं से आँच ज़मीं तोड़कर निकलती है
अजीब तिश्नगी इन बादलों से बरसी है

मेरी निगाह मुख़ातिब से बात करते हुए
तमाम जिस्म के कपड़े उतार लेती है

सरों पे धूप की गठरी उठाये फिरते हैं
दिलों में जिनके बड़ी सर्द रात होती है

खड़े-खड़े मैं सफ़र कर रहा हूँ बरसों से
ज़मीन पाँव के नीचे कहाँ ठहरती है

बिखर रही है मेरी रात उसके शानों पर
किसी की सुबह मेरे बाज़ुओं में सोती है

हवा के आँख नहीं हाथ और पाँव नहीं
इसीलिए वो सभी रास्तों पे चलती है

Bashir Badr Ghazal 5


किसे ख़बर थी तुझे इस तरह सजाऊँगा- Bashir Badra Ki Ghazal 5

 

किसे ख़बर थी तुझे इस तरह सजाऊँगा
ज़माना देखेगा और मैं न देख पाऊँगा

हयातो-मौत फ़िराको-विसाल सब यकजा
मैं एक रात में कितने दिये जलाऊँगा

पला बढ़ा हूँ अभी तक इन्हीं अन्धेरों में
मैं तेज़ धूप से कैसे नज़र मिलाऊँगा

मिरे मिज़ाज की ये मादराना फ़ितरत है
सवेरे सारी अज़ीयत मैं भूल जाऊँगा

तुम एक पेड़ से बाबस्ता हो मगर मैं तो
हवा के साथ बहुत दूर दूर जाऊँगा

मिरा ये अहद है मैं आज शाम होने तक
जहाँ से रिज़्क लिखा है वहीं से लाऊँगा

Bashir Badr Ghazal 6


कोई हाथ नहीं ख़ाली है- Bashir Badra Ki Ghazal 6

 

कोई हाथ नहीं ख़ाली है
बाबा ये नगरी कैसी है

कोई किसी का दर्द न जाने
सबको अपनी अपनी पड़ी है

उसका भी कुछ हक़ है आख़िर
उसने मुझसे नफ़रत की है

जैसे सदियाँ बीत चुकी हों
फिर भी आधी रात अभी है

कैसे कटेगी तन्हा तन्हा
इतनी सारी उम्र पड़ी है

हम दोनों की खूब निभेगी
मैं भी दुखी हूँ वो भी दुखी है

अब ग़म से क्या नाता तोड़ें
ज़ालिम बचपन का साथी है

Bashir Badr Ghazal 7
Bashir Badr 7 Best Ghazals: पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो

सुनसान रास्तों से सवारी न आएगी-Bashir Badr Ki shayari 7

सुनसान रास्तों से सवारी न आएगी
अब धूल से अटी हुई लारी न आएगी

छप्पर के चायख़ाने भी अब ऊंघने लगे
पैदल चलो के कोई सवारी न आएगी

तहरीरों गुफ़्तगू में किसे ढूँढ़ते हैं लोग
तस्वीर में भी शक्ल हमारी न आएगी

सर पर ज़मीन लेके हवाओं के साथ जा
आहिस्ता चलने वाले की बारी न आएगी

पहचान हमने अपनी मिटाई है इस तरह
बच्चों में कोई बात हमारी न आएगी
Conclusion!
मुझे उम्मीद है प्रसिद्ध शायर बशीर बद्र की यह ग़ज़ल आपको बेहद पसंद आएगी। जल्दी ही मिलते हैं एक नये पोस्ट के साथ। पढ़ते रहिए "सिलसिला ज़िंदगी का"

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