Heart Touching Ghazal: सूरज को ढ़ल जाने दे
https://www.amazon.in/amazonprime?&linkCode=ll2&tag=news0c0f-21&linkId=38309fc63d473e62650c06df2fe88330&language=en_IN&ref_=as_li_ss_tl

ADVERTISMENT

Editors Choice

3/recent/post-list

Heart Touching Ghazal: सूरज को ढ़ल जाने दे

Heart Touching Ghazal

मुट्ठी से अगर रेत फिसलती है तो फिसल जाने दे
ये तन्हाई का मौसम है थोड़ा इसे  बदल  जाने दे

एक  नया  सवेरा  ज़रूर  होगा  फिर  से देखना
बस  आज  की शाम इस सूरज को ढ़ल जाने दे

बीते हुए  कल की फिक्र में वक़्त जाया ना कर
जो  आने  वाला  है  कल  बस वो कल आने दे

ये गुस्ताख़ दिल है यूं कहां आसानी से मानता है
थोड़ा समझौता कर इससे और इसे बहल जाने दे

ये पल बेरहम है नहीं मिलेगा ज़ख्मों का मरहम यहां
दर्द को सीने में छुपा और यह बेदर्द पल जाने दे

फिर से एक नया इतिहास पैदा होगा ज़रूर एक दिन
बस इन लड़खड़ाते कदमों को थोड़ा संभल जाने दे

अब सुकूं की ज़िंदगी जीने का कोई बहाना ढूंढ "अनिल"
तड़प और बेचैनी की किताबों को फाड़ और जल जाने दे
***********************************


Post a Comment

0 Comments