"जिंदगी तुम्हारे बाद क्या है?"
दूर तक फैला सन्नाटा
ये खामोशियों की चीख
सोचता हूँ अक्सर तन्हा
जिंदगी तुम्हारे बाद क्या है?
दुनिया के नजारे तो हैं
आसमां में सितारे तो हैं
पर तुम ही नहीं जब
इन सब का मैं क्या करूँ?
क्या प्यार ऐसा होता है?
जहाँ सिर्फ दर्द ही दर्द हो
दर्द की सुबह, दर्द की रातें
आखिर मैं क्या करूँ?
मैंने तो तुम्हें देवी समझा था
जिसके आगे झुकने से
इंसान की हर मुराद पूरी होती है।
आज भी यकीन नहीं होता
दिल कबूल ही नहीं करता
कि तुम बेवफ़ा हो।
जिंदगी माँग लेती तो दे देता
आसान था देना
लेकिन ये रोज़-रोज़ मरना
अब अच्छा नहीं लगता।
तुम दुआ तो करती होगी
एक दिन मेरी मौत ही माँग लो
रोज़-रोज़ के नफरत, मोहब्बत का
तमाशा ही खत्म हो जाएगा।
मिट जाएगा मेरा वजूद
गुम हो जाएंगे कहीं अंधेरों में
मगर याद रखना
मेरी शायरी में लोग तुम्हें ही ढूंढेंगे।।
"आदित्य कुमार अश्क़"
2 Comments
Sundar rachna.
ReplyDeleteThanks...Aditya Ashq Ki rachna hai ye
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