इंतज़ार की कई घड़ियाँ गुज़र गयीं

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इंतज़ार की कई घड़ियाँ गुज़र गयीं

इंतज़ार की कई घड़ियाँ गुज़र गईं
तेरी यादों के कई लम्हे गुज़र गयें.
ना तुम आते हो
ना तुम्हारी यादें जाती हो.

आज भी सोचता हूँ तन्हाई में
कम्बख़त वो वक़्त बेवफा था
या तुम?
या फिर कमियाँ मुझमें ही थीं.

एक दर्द उभर आता है इस दिल में
जब सोचता हूँ कभी-कभी.
वज़ह क्या थी?
जो तुम बे-वज़ह मुझे छोड़कर चले गए.
और दर्द से मेरे दिल का रिश्ता
उम्र  भर  के  लिए  जोड़कर  चले  गए.

मेरी ख्वाहिशें, मेरे सपनें, मेरे अरमां
अब सब उदास हैं तुम बिन
मेरा दिल, मेरी धड़कन, मेरी साँसें
अब सब उदास हैं तुम  बिन.


आख़िर कब तक?
कब तक ज़िंदा रहूँ इस हालात में?
बताओ क्यों?
आखिर क्यों?
ना तुम्हारी यादें जाती हैं?

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