यहां कौन जीता है किसके वास्ते?

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यहां कौन जीता है किसके वास्ते?

अज़नबी शहर है, अज़नबी रास्ते
यहां कौन जीता है किसके वास्ते?

सबको ज़ल्दी है, यहां फुर्सत किसको है
सब बेचैन हैं, यहां राहत किसको है?

कोई ज़ल्दी ही खुद को बदलना चाहता है
कोई वक़्त से भी आगे निकलना चाहता है

यहां कोई अपना, कोई बेगाना लगता है
कोई आशिक़, कोई मजनू, कोई दीवाना लगता है

कोई गैरों से तो कोई ख़ुद से ही रूठा सा लगता है
कोई ज़िंदादिल है तो कोई ज़िन्दगी से टूटा सा लगता है

कोई दर्द में भी बार-बार मुस्कुरा रहा है
कोई मुस्कुरा कर भी अपना दर्द सुना रहा है

सबकी अपनी कहानी है सबके अपने किस्से हैं
लेकिन मिलेगा वही, जिसके जितने हिस्से हैं
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