भाषा भोजपुरी न लगाव ना दूरी मुंह में सुर्ती शरीर में फुर्ती खुद पे नाज़ अलग अंदाज़ अच्छे...
भाषा भोजपुरी
न लगाव ना दूरी
मुंह में सुर्ती
शरीर में फुर्ती
खुद पे नाज़
अलग अंदाज़
अच्छे को ताली
बुरे को गाली
कहते यहाँ के लोग यभी
सुबह, शाम, दोपहर
जब आरा जिला है घर
तो फिर किस बात का है डर?
जी हाँ, अगर आपका घर आरा में है डरना क्या..? ये बात मैं नहीं, सभी कहते हैं, जो आरा में रहते हैं. और सचमुच, आरा शहर और आरा शहर के लोगों के बात और मुलाक़ात का अंदाज़ ही निराला है. माथे की पगड़ी और ज़ुबान की भोजपुरी भाषा आपको दीवाना बना देगी. तो चलिए मैं आपको आरा शहर के बारे में कुछ और भी बातें बताता हूँ.
इस शहर की जहां अपनी एक अलग कहानी है, वहीं इसका अपना एक अनोखा इतिहास भी है.
पटना से लगभग 60 किमी की दूरी पर स्थित आरा, बहुत ही पुराना शहर है और यहाँ पहले मयुरध्वज नामक राजा का शासन था. कहा जाता है कि पहले आरा को "आरण्य" और "आराम नगर" के नाम से भी जाना जाता था.
ऐसी मान्यता भी है कि आरा की प्राचीनता का समबन्ध महाभारत से भी है. पांडवों ने भी गुप्तावास यहीं बिताया था. 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रायुद्ध के प्रमुख सेनानी बाबू कुंवर सिंह की कार्य स्थली होने का गौरव इस नगर को प्राप्त है.
कभी किसी विषम परिस्थिति की वज़ह से तो कभी किसी अन्य अनहोनी की वज़ह से इस शहर का अमन-शान्ति बाधित होता रहा है. लेकिन हर परिस्थिति का सामना करते हुए और वक़्त को भी करारा ज़वाब देते हुए इस नगर और इस नगर के लोग फिर से मज़बूत हो कर खड़े हो जाते हैं.
आरा शहर के कुछ दर्शनीय स्थल :-
आरा के दर्शनीय स्थलों में आरण्य देवी का मंदिर ( ऐसा भी कहा जाता है कि आरण्य देवी के नाम पर ही इस शहर का नाम आरा पड़ा है), बुढ़वा महादेव, रमना मैदान का महावीर मंदिर, पातालेश्वर मंदिर और सिद्धनाथ मंदिर आदि प्रसिद्ध हैं.
माँ आरण्य देवी के मंदिर में श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ लगती है. दूर-दूर से लोग माँ का दर्शन करने के लिए पहुँचते हैं. इसके अलावा महाराजा कॉलेज में स्थित "वीर कुंवर सिंह जी" की गुफा द्वार भी आप देख सकते हैं.
आरा की शिक्षा :-
आरा में कई महाविद्यालय हैं. जैन कॉलेज, महाराजा कॉलेज, सहजानंद ब्रह्मर्षि कॉलेज, जगजीवन कॉलेज, महंत महादेवानन्द महिला कॉलेज, हित नारायाण क्षत्रिया उच्च विद्यालय और इसके अलावा और भी अन्य कई शैक्षिण स्थल भी इस शहर में स्थित हैं.
आरा का खान-पान-:
आरा के खान-पान की बात करें तो सबसे पहला मैं नाम लूंगा लिट्टी-चोखा का....फिर पुरी, कचौरी, जलेबी, मिठाई में खुरमा, खीरमोहन, राजभोग...और अन्य खान-पान के साथ-साथ "जौ (ज्वार ) और चने" का सत्तू भी आपको दीवाना बना देगा.
तो दोस्तों !! कैसा लगा मेरा ये लेख आरा के बारे में . आप मुझे कमेन्ट कर के बताएं या आप मुझसे E-mail के ज़रिये भी जुड़ सकते हैं. wonderfullwold6@gmail.com
***********************************************************************************
Very NYC article
ReplyDelete