जिनकी कलम में जादू है, जिनके अल्फाज़ में एक अलग अंदाज़ है और जिनका हर हर्फ़ कुछ कहता है.जिनकी हर कविता, हर ग़ज़ल, हर शायरी दिल को छू जाती ...
जिनकी कलम में जादू है, जिनके अल्फाज़ में एक अलग अंदाज़ है और जिनका हर हर्फ़ कुछ कहता है.जिनकी हर कविता, हर ग़ज़ल, हर शायरी दिल को छू जाती है. फिल्म या टेलीविजन के स्क्रिप्ट लिखने हों या Diologues, , इन सब में भी इन्होंने महारत हासिल की है. जी हाँ, आपको बता दूं कि इस बेहतरीन लेखक का नाम है "अरुणेश चंद्रा".
अरुणेश चंद्रा जी ने हमें एक बेहद ही सुन्दर रचना भेजी है. जिसे मैं अपने ब्लॉग missyou.in.net के ज़रिये आप तक पहुंचा रहा हूँ.
कल तक एकांत में था
आज एक प्रांत में हूँ |
आने वाले कल को देख, पूरे हिन्दुस्तान में हूँ !
कभी संत था, तभी सिद्धांत में हूँ !
मैं हिन्द कल्याण के साथ हूँ !
मैं योगी आदित्य नाथ हूँ !
तपा दे कितना
मैं तडपता नहीं
तप जानता हूँ |
हटा के देख राह से
मैं हटता नहीं |
हठ जानता हूँ |
हटा के देख राह से
मैं हटता नहीं |
हठ जानता हूँ |
मैं हठी तपस्वी
कभी संत था, तभी सिद्धांत में हूँ |
मैं हिन्द कल्याण के साथ हूँ |
मैं योगी आदित्य नाथ हूँ |
भय, भूख, वासना भूल चुका हूँ |
पर भारत नहीं |
औरंगज़ेब, अंग्रेज़, फरेब भूल चुका हूँ
पर महाभारत नहीं |
ये शंखनाद की आवाज़ है
ये राम-राज्य की आगाज़ है |
एक शहर मिला जहां नहर मिला |
अब यहीं से स्वर्णिम लहरें निकलेंगी
सोने की चिड़िया फिर से दुनिया में उड़ेगी |
कभी संत था तभी सिद्धांत में हूँ
मैं हिन्द कल्याण के साथ हूँ |
मैं योगी आदित्य नाथ हूँ |
Shukriya
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया। मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए।
ReplyDeleteBeautifully written.....Wah wah wah....Talented..
ReplyDelete..Proud on u ny friend...
shukriya dost
DeleteGood Chandra...very meaningful poem..
ReplyDeleteShukriya
DeleteBahut umda
ReplyDeleteShukriya
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