ये मोर्चा, ये आंदोलन ये हुजूम, ये नारे और हाथों में झंडे लेकर खड़े ये सभी लोग सफ़र हाई वे का बंद कर रखे हैं। सन्नाटा है शहर के चलते-भाग...
ये मोर्चा, ये आंदोलन
ये हुजूम, ये नारे
और हाथों में झंडे लेकर
खड़े ये सभी लोग
सफ़र हाई वे का बंद कर रखे हैं।
सन्नाटा है शहर के चलते-भागते
मोड़ और सड़कों पर।
थम सा गया है सब कुछ।
और वो हाई वे।
बेचारा आंदोलन की आग में
झुलस रहा है।
देख रहा है सब कुछ। ख़ामोश।
सबकी नादानियों को।
मुस्कुरा भी रहा है कभी-कभी
उन पर।
सोच रहा है कब से यही।
अपनी उम्मीदों को
पूरा करवाने के लिए
ये नादान लोग, जाने
कितने ज़रूरतमंद लोगों के
उस सफ़र को रोक रखे हैं,
जो सफ़र शायद उनकी ज़िंदगी
का सबसे अहम सफ़र है।
हाई वे चुपचाप अभी भी
अपनी नग्न आंखों से
सब कुछ देख रहा है।
और इंतज़ार कर रहा है उस पल का
जब ये आंदोलन ख़त्म होगा
और लोगों का
"सिलसिला ज़िन्दगी" का शुरू होगा।
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