कहते हैं कि "ज़िन्दगी तो ज़िन्दादिली का नाम है, मुर्दा दिल लोग क्या खाक जिया करते हैं"? जो ज़िन्दादिली से हर परिस्थिति का मुकाबला क...
कहते हैं कि "ज़िन्दगी तो ज़िन्दादिली का नाम है, मुर्दा दिल लोग क्या खाक जिया करते हैं"? जो ज़िन्दादिली से हर परिस्थिति का मुकाबला करता है वो हार कर भी जीत जाता है और जो बुझदिल हैं वो जीत कर भी हार जाते हैं ।आज मैं आपको इसी ज़िन्दादिली का उदारण दिखाने जा रहा हूँ ।
ऊपर की तस्वीर को ग़ौर से देखिए । एक मंदिर और उस मंदिर के चारो तरफ लबालब पानी । हालांकि, यह तस्वीर कुछ वर्षों पहले की है । लेकिन यह तस्वीर बहुत कुछ बयां करती है। और आपको ये भी बता दूं कि यह तस्वीर दियारा क्षेत्र में बसे गाँव नौरंगा की है । हर तरफ अथाह पानी। दूर-दूर तक खेत। जहाँ नज़र जाए, वहां पानी ही पानी, बीच में हज़ारों घर और लोगों की ज़िन्दगानी। यह तस्वीर आपको डरा देगी, चौका देगी। लेकिन ज़रा सोचिये, वो लोग इसका सामना कैसे करते होंगे, जो यहां रहते हैं। कुछ वर्षों पहले जब गंगा किनारे बसे इन गाँवों में बाढ़ आई थी तो इन गाँवों के लोग परेशान ज़रूर हुए थे, घबराये ज़रूर थे...लेकिन सबसे बड़ी बात ये कि लोग ज़िन्दादिली से इस प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहे थे।

चेहरे पर वो ही मुस्कान थी और दिल में वही आशा कि सब ठीक हो जाएगा और ठीक हो भी गया। बाढ़ से थमी ज़िन्दगी फिर से पटरी पर लौट आई और सबकी ज़िन्दगी अपने सफ़र पर दौड़ने लगी। दियारा क्षेत्र के इन गांव के लोगों का हिम्मत और जुनून देखते ही बनता है। यहां के लोग अपने दम पर अपनी कहानी लिखते आ रहे हैं। बिना किसी मूलभूत सुविधा के यहां के युवा देश-विदेश में अच्छी-अच्छी जगहों पर, अच्छे-अच्छे पदों पर कार्यरत हैं। वो वर्तमान में जी रहे हैं और अपना भविष्य ख़ुद तैयार कर रहे हैं। और इन गाँवों के किसानों का क्या कहना? उनकी मेहनत से जब खेतों में फसलें लहलहाती हैं तो इसी दियारा क्षेत्र का नज़ारा देखते ही बनता है । इन गाँवों और यहाँ के लोगों के जुनून की कहानी सिर्फ कहानी ही नहीं, बल्कि एक हिम्मत और आत्म-विश्वास की वो परिभाषा है जो हर किसी के लिए एक उदाहरण है और ज़िन्दादिली की परिभाषा भी। कभी न हार मानने वाले, कभी न टूटने वाले इन गाँवो और यहाँ के लोगों को कोई भी परिस्थिति हरा नहीं सकती क्योंकि "हर परिस्थिति का डंटकर सामना करते हैं दियारा क्षेत्र के ये गाँव". मैं दिल से दुआ करता हूँ कि इन गाँवों की ज़िन्दादिली इसी तरह बरकरार रहे और यहाँ के लोगों का "सिलसिला ज़िन्दगी का" हमेशा चलता रहे।
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