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हमारे हौसले की कहानी है सबसे अलग

नींद से जैसे ही आंखें खुली, खिड़की से बाहर नज़र गई देखा कि एक 6 साल की बच्ची सर पे लोटा रखे हुए, दोनों हाथ से एक डंडे को पकड़े हुए, अपने ...


नींद से जैसे ही आंखें खुली, खिड़की से बाहर नज़र गई देखा कि एक 6 साल की बच्ची सर पे लोटा रखे हुए, दोनों हाथ से एक डंडे को पकड़े हुए, अपने शरीर को बैलेंस बनाते, संभालते....ऊंचाई पर बंधी रस्सी पर आगे बढ़ रही है।  नीचे उसके परिवार के कुछ लोग ढ़ोलक बजा कर उस बच्ची का हौसला बढ़ा रहे हैं। मेरी निगाहें वहां जा कर रुक गईं। 

वैसे तो ये नज़ारा मैं पहले कई बार देख चुका हूँ, लेकिन आज ये नज़ारा मैं कई सालों बाद देख रहा था। ग़ौर से देख रहा था उस छोटी सी बच्ची को। पैरों को नाप-तोल कर आगे बढ़ना, उस पतली सी रस्सी पर शरीर को संभालना, आज मेरे मन में ये सवाल उठ रहा था कि इस असम्भव को एक इतनी छोटी बच्ची संभव कैसे बना रही है? बहुत सोचने के बाद मेरे मन में ये ख़्याल आया कि इस बच्ची का हौसला, जुनून इसका उद्देश्य ही इसे इतना मज़बूत बना चुका है कि इस बच्ची के लिए ये असंभव संभव बन चुका है। इसका उद्देश्य ही मंज़िल से शुरु होता है और इसका उद्देश्य ही इसे मंज़िल तक लर जाता है।

पतली  रस्सी पर चल रही ये बच्ची की कला मेरी नज़र में दुनिया की हर कला से बढ़कर है। क्योंकि ये कला महज़ कोई साधारण कला नहीं है। ये कला कोई छोटी कला नहीं है। ये कला है मज़बूरी की। ये कला है पेट और परिवार चलाने की, जो कहीं भी शुरू होती है और कहीं भी ख़त्म हो जाती है। रास्ते से गुजरते हुए लोग उस बच्ची की इस कला को देखकर मुस्कुराते हैं और आगे बढ़ जाते हैं, कुछ खड़े हो कर देखते हैं। 
चाहे कुछ भी हो, इस वास्तविकता की कहानी सिर्फ कहानी ही नहीं, बल्कि इस वास्तविकता की कहानी सिर्फ वास्तविकता ही हो सकती है। कला की वास्तविकता, भूख की वास्तविकता और ज़िन्दगी की वास्तविकता। इस छोटी सी बच्ची की ये ज़िंदादिली नज़ारें एक पल में ही जाने कई वास्तविकताओं से रु-ब-रु करा जाते हैं।


वो नज़ारा देख रहा था और सोच ही रहा था, तभी अचानक मानो उस बच्ची की आवाज़ मेरे कानों में गूंजी- ये हमारी रोज़ की कहानी है, रील लाइफ की नहीं, रीयल लाइफ की। हमारी सच्चाई से रु-ब-रु होना हर किसी के वश की बात नहीं, क्योंकि हम परों से नहीं, हौसलों से उड़ा करते हैं। कोई यकीं करे या नहीं, पर "हमारे हौसले की कहानी है सबसे अलग''. और मज़बूरी है ये सब करना, ताकि "सिलसिला ज़िन्दगी" का चलता रहे।
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