Ghazal- मेरी शायरी के अल्फ़ाज़ कुछ कहते हैं
मेरी ज़िंदगी की तस्वीर हैं ये
मेरे हाथों की लकीर हैं ये!
मेरे रस्ते और मेरी मंज़िल हैं
मेरे ख़्वाब और तक़दीर हैं ये!!
हर पल ये मेरा एहसास बनकर रहते हैं।
मेरी शायरी के अल्फ़ाज़ कुछ कहते हैं।।
बयाँ करते हैं दिलों की चाहत को
बेचैन कर जाते हैं कभी राहत को
कभी यूं ही ख़्वाबों में उतर जाते हैं
कभी बनकर ज़िन्दगी सँवर जाते हैं
कभी दर्द का तराना बनकर आते हैं
मुस्कुराने का बहाना बनकर आते हैं
मेरी आँखों में ख़्वाब बनकर बहते हैं।
मेरी शायरी के अल्फ़ाज़ कुछ कहते हैं।।
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