ईर्ष्या और नफ़रत की आग में जलते हुए इंसान आज इतना दूर चला गया है कि संसार से खुशीऔर हंसी ने जैसे अपना रिश्ता ही तोड़ लिया है। इंसान आज इस क़द...
ईर्ष्या और नफ़रत की आग में जलते हुए इंसान आज इतना दूर चला गया है कि संसार से खुशीऔर हंसी ने जैसे अपना रिश्ता ही तोड़ लिया है। इंसान आज इस क़दर अंधेरे में डूब गया है कि उसे ख़ुद ही मालूम नहीं कि वो कौन है और उसके ज़िन्दा रहने का मायने किया है।
आपने देखा होगा कि एक इंसान उस चीज़ के लिए भागता है जो उसके पास नहीं है और जो है उसकी निगाह में उसकी क़द्र ही नहीं। 'ना' के पीछे भागते-भागते वह इंसान तब उस 'हाँ' को भी पीछे छोड़ चुका होता है, जो उसके पास था। और यही से शुरू होती है एक इंसान के दुख की कहानी और यही पर ख़त्म हो जाते हैं उस इंसान के उत्साह और ख़ुशी के किस्से।
और जब आपकी ज़िंदगी में उत्साह ही नहीं रहा, तो फिर क्या रह गया? शायद कुछ नहीं!!
किसी इंसान की ज़िंदगी से उत्साह तभी जाता है, जब उस इंसान के पास संतोष नाम की कोई चीज़ नहीं है। ज़िन्दगी में उत्साह बना रहे, इसके लिए आपको सब्र रखना होगा और संतोष रखना होगा।
एक इंसान के जीवन में उत्साह का होना वैसे ही ज़रूरी है, जैसे उसी जीवन के लिए सांस का होना। फ़र्क बस इतना है कि ज़िन्दा रहने के लिए सांस का होना ज़रूरी है और ज़िन्दगी जीने के लिए उत्साह का होना ज़रूरी है।
हैनरी फोर्ड ने कहा था- अगर आपके पास उत्साह है, तो आप कुुुछ भी कर सकते हैं। उत्ससाह आपकी आशाओं को हक़ीक़त में बदलने का ख़मीर है।
अब आप सोचेंगे कि उत्साह आता कहाँ से है और आएगा कैसे? तो आपके इस सवाल का ज़वाब नहीं बल्कि इसका एक सवाल ही है- आपके पास निराशा आई कहाँ से थी और आपने लाया कैसे? जिस तरह अपने निराशा को खोजा था उसी तरह उत्साह को ढूँढिये, एक दिन ज़रुर मिल जाएगा।
अपने अंतर्मन का संगीत सुनें
जब भी आपको एहसास होने लगे कि आप निराश हैं या हतोत्साहित हो रहे हैं- तो एकाग्रचित होकर आप अपने अंतर्मन का संगीत सुनें। ध्यान से सुनें। वो आपको सुनाई देगा। आपके कान में इस तरह गूंजेगा कि आपके अंदर वो एक नई ऊर्जा भर जाएगा और फिर आप उत्साह से भर जाएंगे।
मन में सिर्फ अच्छे विचार ही लाएं
आप अपने मन में हमेशा अच्छे विचार लाएं। दया का विचार, प्रेम का विचार, शांति, भक्ति, निष्ठा का विचार। जिस दिन आप के मन में ऐसे विचार आने शुरू हो गए, यकीन मानिए उसी दिन, उसी वक़्त से आपके जीवन में बदलाव आना शुरू हो जाएगा और आपके जीवन में सिर्फ उत्साह ही उत्साह होगा।
कभी-कभी मौन हो जाइए
मौन से मन की शांति उत्पन्न होती है। जब आप मौन हो जाएंगे तो आपका मन आपसे बात करना शुरू कर देगा। फिर आप खुद को पहचानने लगेंगे। मौन रहने से ना सिर्फ उत्साह आता है बल्कि आपके अंदर घृणा, क्रोध, भय, चिंता इन सब का नामोनिशान भी नहीं रह पाता है। मौन रहने से आप चिन्तन ही कर पाएंगे, चिंता नहीं।
मधुर बोलिये
आपने सुना होगा- ऐसी वाणी बोलिय, मन का आपा खोय- औरन को शीतल करें, आपहुं शीतल होय! मधुर वाणी से इंसान के जीवन में उत्साह ही उत्साह होता है। आओ अगर किसी से मधुरता से बात करेंगे तो सामने वाला इंसान भी आपसे मधुरता से पेश आएगा। इस तरह आप जिससे भी मिलेंगे आपके अंदर एक नया उत्साह पैदा होगा।
दोस्तों! मेरा यह विचार आपको कैसा लगा। हमें ज़रूर बताईये। साथ ही साथ हम चाहेंगे कि आप उत्साही बनिये, उत्साह की तलाश कीजिये क्योंकि "अगर आपके पास उत्साह है तो आप कुछ भी कर सकते हैं।"
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