जो बे-वज़ह हँसता और मुस्कुराता था रोज़ नग़मे प्यार का सबको सुनाता था इश्क़ का नाम ले कर रोज़ जीता था जो बेवफ़ाई का ज़हर रोज़ पिता था आख़िर...
जो बे-वज़ह हँसता और मुस्कुराता था
रोज़ नग़मे प्यार का सबको सुनाता था
इश्क़ का नाम ले कर रोज़ जीता था
जो बेवफ़ाई का ज़हर रोज़ पिता था
आख़िर वो ख़ुद को फना कर गया।
सुना है कल वो दीवाना मर गया।।
वो मोहब्बत को ख़ुदा समझ बैठा था
अपनी ज़िंदगी को जुदा समझ बैठा था।
मोहब्बत के लिये जहां से रिश्ता तोड़ लिया
उसी मोहब्बत ने उसका हाथ छोड़ दिया।।
वो मोहब्बत का मारा हुआ और घायल था
लोग कहते हैं कि वो सरफिरा और पागल था
रोज़ ख़ुद ही रूठता था, ख़ुद को मनाता था
ख़ुद किस्से कहता था, ख़ुद को सुनाता था
बड़ी शिद्दत से ज़िन्दगी को संभाल के रखा था
जान को अपनी हथेली पर निकाल के रखा था
ले कर दर्द दिल में जहाँ से वो यार गया
कब तक जीता,आख़िर वो ज़िन्दगी से हार गया
उसके हर सपने, उसका अरमां बिखर गया।
सुना है कल वो दीवाना मर गया।।
रोज़ नग़मे प्यार का सबको सुनाता था
इश्क़ का नाम ले कर रोज़ जीता था
जो बेवफ़ाई का ज़हर रोज़ पिता था
आख़िर वो ख़ुद को फना कर गया।
सुना है कल वो दीवाना मर गया।।
वो मोहब्बत को ख़ुदा समझ बैठा था
अपनी ज़िंदगी को जुदा समझ बैठा था।
मोहब्बत के लिये जहां से रिश्ता तोड़ लिया
उसी मोहब्बत ने उसका हाथ छोड़ दिया।।
वो मोहब्बत का मारा हुआ और घायल था
लोग कहते हैं कि वो सरफिरा और पागल था
रोज़ ख़ुद ही रूठता था, ख़ुद को मनाता था
ख़ुद किस्से कहता था, ख़ुद को सुनाता था
बड़ी शिद्दत से ज़िन्दगी को संभाल के रखा था
जान को अपनी हथेली पर निकाल के रखा था
ले कर दर्द दिल में जहाँ से वो यार गया
कब तक जीता,आख़िर वो ज़िन्दगी से हार गया
उसके हर सपने, उसका अरमां बिखर गया।
सुना है कल वो दीवाना मर गया।।
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