Page Nav

HIDE

Gradient Skin

Gradient_Skin

यह भी पढ़िए

latest

DEAR DIARY OF MY LIFE

WELCOME TO MY BLOG: SILSILA ZINDAGI KA  DAIRY OF MY LIFE: PAGE 1 DEAR  DIARY OF MY LIFE  आज सुबह जैसे ही तुम्हें देखा तो च...

WELCOME TO MY BLOG: SILSILA ZINDAGI KA 

DAIRY OF MY LIFE: PAGE 1



DEAR  DIARY OF MY LIFE 
आज सुबह जैसे ही तुम्हें देखा तो चेहरे पर थोड़ी खुशी की झलक उभर आई और थोड़ा उदास हो गया. कई दिनों से मैं तुम्हें देख नहीं पाया था. आज जब तुम्हारा पहला पन्ना खोला तो जाने कितने बीते हुए लम्हे याद आ गए. बीती हुयी हर कहानी याद आ गयी, गुज़रे हुए पल और गुज़री हुयी ज़िंदगानी याद आ गयी.
वो मेरा बचपन मुझे नज़र आने लगा. वो मेरी गाँव की गलियाँ, वो मेरे गाँव की कच्ची सड़क के उड़ते धुल और भारी बारिश के कारण लबालब पानी से तर-बतर हुयी रस्ते याद गए. 
फिर याद आया वो गाँव का स्कूल, ज़ेहन में उतर गए हमारे शिक्षक, और वो बात-बात पर लड़ना-झगड़ना भी आज चेहरे पर मुस्कान दे गया. वो खेत-ख़ालिहान, वो गाँव के किसान सब याद आ गए.

DEAR  DIARY OF MY LIFE 
पता है तुम्हें और क्या-क्या याद आया? बताता हूँ. वो टूटा हुआ मकान, वो पुए और पकवान, वो ट्रैक्टर, हल, बैल, वो खेल-कूद, वो भागना दौड़ना, दशहरा, छठ, दीवाली के पावन त्यौहार पर मस्ती. 
ये सब  सिलसिला है ज़िंदगी का जो बीत गया, शायद हम हार गए और वक़्त जीत गया.
सच कहूँ, ये सब   याद आते ही आँखें भर आईं. सोचने लगा- क्या दिन थे वो भी? ना कुछ ज़्यादा की चाह थी, ना किसी चीज़ की परवाह थी. 

DEAR  DIARY OF MY LIFE 
तुम्हारा  पहला पेज पढ़ते-पढ़ते ही तब और भी रो पड़ा- जब याद आई वो गाँव की सोहर गाने वाली वो  बूढ़ी अम्मा, जो अब दुनिया में नहीं हैं. 
ज़िंदगी  का सफ़र  आगे चलता रहा, सूरज ढलता  रहा, सूरज निकलता रहा। 
याद आया वो मेरा बचपन का दोस्त जो ज़ल्दी ही हमारा साथ छोड़कर दुनिया को अलविदा कह दिया। और वो भी बाबा नहीं रहे, जिन पर हम कमेंट कसते थे और चिढ़ा कर भागते थे. मज़ा तो तब आता था, जब वो हमें मारने के लिए दौड़ते थे, पीछा करते थे. पर अब कोई नहीं है. 

DEAR  DIARY OF MY LIFE 
पता है इस सीने में कितना दर्द है? सब कुछ कल की ही तो बात है और देखो आज कुछ भी नहीं है. पता है तुम्हें मैं ख़फ़ा किससे हूँ...? इस कम्बख़्त वक़्त से....? क्या खेल खेलता है ये.....? "जवानी का ख़्वाब दिखाकर हमें बड़ा कर दिया, आज देखो कौन से मोड़ पर ला कर खड़ा कर दिया". मैं जब  पीछे मुड़ कर देखता हूँ यहां से, मेरे अरमानों की आह और सिसकियाँ सुनाई देती हैं. लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि मैं मज़बूर हूँ.

DEAR  DIARY OF MY LIFE 
कैसे बताऊँ अपने दिल का दर्द तुम्हें? ये मज़बूरी ही तो है, आज अच्छे से जीने की चाह में कल को भूलाना पड़ता है, ठीक नहीं है तो भी सबको अपना हाल ठीक बताना पड़ता है. एक  नया रिश्ता जुड़ा तो दूसरा टूट गए, एक नया हमसफ़र मिला तो दुसरा बीच सफ़र में ही छूट गया.

DEAR  DIARY OF MY LIFE 
कुछ अपने थे वो तो कब के बेगाने थे, शायद हम इस बात से अनजाने थे... कुछ हाथ मिला कर निकला गए, कुछ मज़बूरी बता कर बदल गए. कुछ  लौट कर आने का वादा कर के  गए थे, आप अब  तक आये नहीं, बीत गए वर्षों, पर एक बार भी अपना हाल बताये नहीं। कुछ  पाने की आस में बहुत कुछ खोया हूँ , वक़्त के ज़ख्मों को ज़िंदगी के मरहम से धोया हूँ।  सब याद आ रहा है आज लेकिन सिर्फ़ ख़ामोश रहने के अलावा मेरी ज़िंदगी में और कुछ बचा ही क्या है.

DEAR  DIARY OF MY LIFE 
मैं आज तुम्हारा पहला पेज पढ़ते ही मायूस हो चुका हूँ. हालांकि अभी और कई पेज बाकी हैं, जिन्हें पढ़ना है. लेकिन सच कहूँ, मुझे बहुत दर्द दिया तुम्हारे पहले पन्ने ने और हो भी क्यों न? जाने कितनी यादों का जहां तुझ में कैद है. मुझे मालूम है कि अभी खुशियों के किस्से भी तो आने वाले हैं. लेकिन जो भी होगा बहुत रोमांचक होगा. क्योंकि मेरी प्यारी डायरी कोई साधारण डायरी नहीं है, क्योंकि हर पन्ने में अंकित है मेरा सिलसिला ज़िंदगी का.

दोस्तों! DEAR  DIARY OF MY LIFE  का हर पेज में मेरी यादों का सिलसिला है. हो सके इसी पन्ने में कहीं आपका भी सिलसिला ज़िंदगी का छुपा हो. मेरी कहानी हो सकता है, आपकी कहानी हो. मेरी यादें हो सकता है आपकी यादें हो. तो कल ले शेयर करूंगा आप से DEAR  DIARY OF MY LIFE का दूसरा पेज.




No comments

Advertisment