HINDI POEM ON BAAL DIVAS किसी ने क्या खूब कहा है- बचपन की ख़्वाहिशें आज भी ख़त लिखती हैं मुझे शायद वो बेख़बर इस बात से हैं कि ये ज़िन्दग...
HINDI POEM ON BAAL DIVAS
किसी ने क्या खूब कहा है-
बचपन की ख़्वाहिशें आज भी ख़त लिखती हैं मुझे
शायद वो बेख़बर इस बात से हैं कि ये ज़िन्दगी अब उस पते पर नहीं मिलती।
ज़िन्दगी ने कितनी ज़ल्दी हमसे हमारा बचपन छीन लिया। कितनी ज़ल्दी हमें बड़ा कर दिया इसने। और किस मोड़ पर ला कर हमें खड़ा कर दिया इसने।
"बाल दिवस के अवसर पर मुझे भी अपना बचपन याद आ गया। एक कविता आप तक पहुंचा रहा हूँ।
POEM ON BAAL DIVAS
जब भी कोई मुझसे सवाल पूछता है
तुम्हें क्या बनना है?
मैं मुस्कुराते हुए धीरे से कहता हूँ
फिर से बच्चा बनना है।
फिर से नंगे पांव
खेतों में दौड़ना है,
फिर से नाज़ुक हाथों से
रेत का महल गढ़ना है।
फिर से उसे मिटाना
और फिर से तोड़ना है,
फिर से कटिस करना है
फिर से रिश्ते जोड़ना है।
फिर से सुननी है मुझे
नानी की वो कहानी,
फिर से चाहिए कागज़ की कश्ती
फिर से चाहिए वो बारिश का पानी।
फिर से रात में चाँद को
हाथों से पकड़ना है,
फिर से उन्मुक्त आकाश में
मुझे उड़ना है।
फिर से आँखों में लगाना है
टीका काजल का,
फिर से चाहिए मुझे
साया माँ के आँचल का।
फिर से मुझे कभी भी
बेवज़ह रोना है,
मुझे औए कुछ नहीं चाहिए
फिर से मुझे बच्चा होना है।
दोस्तों! बचपन ज़िन्दगी का सबसे अनमोल पल होता है। जो गुज़र जाता है बहुत ज़ल्दी और याद आता है बार-बार। यह ज़िन्दगी का वो पल होता है, जिसमें सब कुछ माफ़ होता है। आज भी किसी से पूछिए कि आपको क्या बनना है? तो अधिकांश लोग कहेंगे मुझे बच्चा बनना है। लेकिन शायद अब ऐसा नहीं हो सकता है। क्योंकि, जो बीत गया फिर से वो दौर ना आएगा। लेकिन बचपन की यादें ज़रूर हमारे साथ रहेंगीं।
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