CHUNAV Chunav का परिणाम टीवी पर आ रहा था। हर तरफ लोग अपनी- अपनी पार्टी को सपोर्ट कर रहे थे। जो कभी किसी को बहुत चाहते थे ...
CHUNAV
Chunav का परिणाम टीवी पर आ रहा था।
हर तरफ लोग अपनी- अपनी पार्टी को
सपोर्ट कर रहे थे।
जो कभी किसी को बहुत चाहते थे
कभी वोट दे कर जिताये थे,
आज उसकी बुराईयां गिन-गिन कर
गालियाँ दे रहे थें।
कोई कह रहा था अच्छा हुआ।
कोई कह रहा था
किये का परिणाम तो भुगतना ही पड़ेगा।
टीवी से किसी की निगाहें नहीं हट रही थीं।
हर चैनल पर बहस छिड़ी हुई थी।
टीवी का स्क्रीन सीटों के
नतीजों से भरे पड़ें थें।
एक सीट के बढ़ने पर खुशियाँ
जताईं जा रही थीं।
एक सीट के घटने पर
चेहरे पर निराशा नज़र आ रही थीं।
कोई खुशियां मना रहा था
कोई ग़म में डूबा था।
किसी की पार्टी जीत रही थी तो
किसी की हार रही थी।
यह सब नज़ारा देख कर
इंसानियत खड़ी रो रही थी।
और बोल रही थी।
ए पगले! क्या Chunav-Chunav
किये बैठा है।
जीत किसी की भी हो
भला-बुरा किसी का भी हो
लेकिन रोती और तड़पती तो
इंसानियत और मानवता ही है।
इससे Chunav को क्या मतलब?
नेताओं को क्या मतलब?
फिर मुझे सब समझ आ गया था।
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