Ghazal तुम तक ही पहुंचना है मुझे तुम्हें ही पाना है। ज़िन्दगी मुझे तेरा पता चाहिए मुझे तुमसे मिलने आना है।। ढूंढ़ता हूँ तुम्...
Ghazal
तुम तक ही पहुंचना है
मुझे तुम्हें ही पाना है।
ज़िन्दगी मुझे तेरा पता चाहिए
मुझे तुमसे मिलने आना है।।
ढूंढ़ता हूँ तुम्हें जहाँ में
कहाँ पर तुम्हारा ठिकाना है।
किस मोड़ पर मिलेगी मुझे
कहाँ तुम्हारा आशियाना है।।
कई लम्हे गुज़र गए हैं
अब तक तुमसे बात ना हुई।
तन्हाई हो या कारवाँ
कहीं तुमसे मुलाक़ात ना हुई।।
तुम्हें ढूंढ़ता हूँ रोज़ हवाओं में
और फ़ज़ाओं में ढूंढ़ता हूँ।
तुम्हें ढूंढ़ता हूँ रोज़ ख़्वाबों में
और दुआओं में ढूंढ़ता हूँ।
तुम्हें ढूंढ़ता हूँ रोज़ धूप में
और छांव में ढूंढता हूँ।
ढूंढ़ता हूँ तुम्हें ख़ुद में
ख़्वाहिशों के गाँव में ढूंढ़ता हूँ।।
तुम्हें रात में ढूंढ़ता हूँ
ढूंढ़ता हूँ सुबह और शाम में।
तुम्हें ढूंढ़ता हूँ हर किसी में
और हर पैग़ाम में ढूंढ़ता हूँ ।
अपने ग़ज़ल में ढूंढ़ता हूँ
अपने अल्फ़ाज़ में ढूंढ़ता हूँ।
अपनी अदा में ढूंढ़ता हूँ
अपने अंदाज़ में ढूंढ़ता हूँ।।
तुम जिस दिन मिलोगी
साथ ले कर उड़ जाना है।
ज़िन्दगी मुझे तेरा पता चाहिए
मुझे तुमसे मिलने आना है।।
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