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Prem Ka Dhaaga|प्रेम का धागा

Prem Ka Dhaaga यह Love Story।Prem ka Dhaaga  मेरे एक पुराने दोस्त संजय सिन्हा जी ने भेजी है, जो बिहार  के रहने वाले हैं। दिल्ली में पढ़ा...

Prem Ka Dhaaga

यह Love Story।Prem ka Dhaaga मेरे एक पुराने दोस्त संजय सिन्हा जी ने भेजी है, जो बिहार  के रहने वाले हैं। दिल्ली में पढ़ाई करते वक़्त उन्हें प्यार हुआ था एक लड़की से। अपना अनुभव और अपनी Love Story शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि बहुत सारी यादें तैर गई।
Prem ka Dhaaga, Love story

Prem Ka Dhaaga

उन दिनों मैं दिल्ली में पढ़ाई कर रहा था। मीडिया की पढ़ाई कर रहा था। सन 2011 का दौर था वो। फेसबुक पर चैटिंग का जुनून पढ़ाई से भी ज़्यादा था। याद है मुझे मेरे फ्रेंडलिस्ट में एक लड़की जुड़ी थी। नाम था अंकिता मेहरा। 
एक दिन रात को फेसबुक पर अंकिता को Online देखा। Hi लिख कर भेज दिया। उधर से रिप्लाई आया- Hello....और यही से शुरू हुआ मेरी ज़िंदगी का एक नया फ़साना, जो Love Story में बदल गया।

क्या करते हो? कहाँ रहते हो? दो दिनों तक यही सब बातें होते-होते एक दिन मिलने का समय भी तय हो गया। 

22 September, 2012
मुझे अपनी Love Story का हर चीज़ याद है। दिन से ले कर महीना और तारीख तक। और हो भी क्यों नहीं? वो मेरा पहला प्यार था और यह मेरी पहली Love Story है। 
हाँ तो 22 September, 2012.....अंकिता से मिलने जाने का समय और जगह तय हो गया। एक पार्क। 
आईने के सामने घण्टों खड़ा बाल संवारता रहा। चेहरे को निहारता रहा। फिर पहुँचा पार्क में। काफी देर इंतज़ार क़िया। फिर सामने से एक लड़की आती हुई दिखाई दी। वो आई और मेरे पास आ कर बैठ गई। यही थी अंकिता। गोरी, लंबी, बला की खूबसूरत। ऐसी ख़ुबसूरत लड़कियाँ बहुत कम ही होती हैं।
अंकिता ने मुस्कुराते हुए कहा- Sorry ज़रा देर हो गई"। मैंने मुस्कुराते हुए कहा- कोई बात नहीं। तभी अंकिता पूछती है- कहाँ से हो? मैंने कहा- बिहार से। 
वो मुस्कुराई। और बहुत सारे सवालात किये उसने। मेरे परिवार के बारे में। दोस्तों के बारे में। फिर उसने कहा- कि तुम मुझसे प्यार करते हो? मैंने नज़रें झुकाते हुए कहा- हाँ, बहुत। तो निभा लोगे। मैंने कहा- हाँ। अंकिता ने फिर कहा- देखना,नहीं निभा पाए तो मैं तुम्हें छोड़ के चली जाऊंगी। क्योंकि मेरे शौक़ बहुत बड़े-बड़े हैं।।और ज़ोर से हंसी।

Prem Ka Dhaaga

राम कसम- अंकिता की हंसी मेरे दिल पर इस तरह दिल में बस गई कि मैं उसका क़ायल हो गया। यह मेरी Love Story का शुरुवाती भाग था, जो मुझे दीवाना कर गया।
अब मैं अंकिता के लिए ही जी रहा था और मर रहा था। मैं इस क़दर उसका दीवाना हो चुका था कि मैं उसके लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था।
अंकिता के शौक़ बड़े-बड़े थे। ब्रांडेड कपड़े और जूते पहनना। अच्छे रेस्टोरेंट में खाना। और सच कहूँ, वो मेरी पढ़ाई के दिन थे। मुझे घर से पैसे लेने पड़ते थे। अपना खर्च और ऊपर से अंकिता का खर्च। अब मेरे लिए महंगा पड़ने लगा था। नौबत ये आ चुकी थी कि मैं कई दोस्तों से लाखों रुपये उधार ले चुका था। 
मैं जब भी अंकिता की कोई ख़्वाहिश पूरी करता था, अंकित मेरे गले लिपटते हुए कहती थी- तुम जैसा कोई नहीं। I am Too Lucky, ki मुझे तुम्हारी तरह Boyfriend मिला है।
मैं आपको बता दूँ कि दिल्ली में मेरा जो room partner था वो भी बिहार का ही था। उससे मैं कुछ नहीं बताता था, जबकि वो मुझे बहुत मानता था। बहुत अच्छे से जानता था। 
मैं एक तरफ खुश था तो दूसरी तरफ परेशान। एक तरफ अंकिता के प्यार में पागल था तो दूसरी तरफ़ पैसे की फिक्र में चिंतित। 
एक दिन मेरे दोस्त ने मुझसे पूछा- क्या बात है? आज कल परेशान रहने लगे हो। उसके बार-बार पूछने पर मैंने सारी कहानी बताई। 
वो मुझे समझाने लगा- वही जो नहीं प्यार करने वाले एक प्यार करने वालों को समझाते हैं। छोड़ दे। लड़की का चक्कर बहुत ख़राब होता है। लूट जाएगा। बर्बाद हो जाएगा। पढ़ाई पर ध्यान दे। बहुत समझाया।
लेकिन माँ कसम- जब किसी को किसी से प्यार होता है न तो आदमी हर अच्छी बात का उल्टा करता है। क्योंकि उसे तो प्यार में हद से गुज़रना होता है। और पता नहीं, कौन इसी को प्यार कह गया। 
इस Love Story ने मुझे पागल कर दिया था। आपको बताऊँ, हर महीने मुझे 30 हज़ार रुपये का प्रबंध करना पड़ता था। इससे ज़्यादा ही। किसी-किसी महीने 50 हज़ार का भी आंकड़ा छू जाता था।
अब नौबत ऐसी आ गई कि जिन-जिन के पैसे लिए थे मैंने सबके फोन आने लगे। अब कर्ज़ चुकाऊं या Love Story को आगे बढ़ाने के लिए कहीं से कर्ज मांगूं। समझ नहीं आ रहा था।
किसी-किसी दिन अंकिता मिलने बुलाती थी तो अब बहाना बनाना पड़ता था। 
अंकिता का जन्मदिन आने वाला था। 12 February, 2013...उसका जन्मदिन था। और मेरे सोचने से पहले ही अंकिता ने बात दिया था कि उसके जन्मदिन पर उसे मेरी तरफ से scooty चाहिए। 
अब आप सोच सकते हैं scooty कोई 2 हज़ार की तो आती नहीं। मैं पागल हो चुका था। कहां से प्रबंध करूं इतने बड़े अमाउंट का। टेंशन के मारे चेहरा सूखा जा रहा था। मेरे रूम पार्टनर ने बहुत समझाया कि ये तो बहुत बड़ा पागलपन है। मैंने उससे भी पैसे पहले उधार ले चुके थे। अब क्या करता? 
एक दिन मेरे दोस्त ने कहीं बात करने के लिए मोबाइल मांगा। उसका नेटवर्क problem था। वो हॉल में  बात करने लगा और मैं अपने बेडरूम में आ कर लेटा और कुछ सोचने लगा। 
थोड़ी देर बाद मैं हॉल में मोबाइल के लिए आया और जैसे ही बैडरूम से बाहर निकला मेरे दोस्त का एक ज़ोरदार तमाचा मेरे गाल पर पड़ा। मैं अपना गाल पकड़ कर खड़ा था और कुछ बोलता उससे पहले ही उसने कहा- जिस लड़की के प्यार में तुम पागल हो, पैसे और वक़्त बर्बाद कर रहे हो- She is a call girl.
इतना सुनना था कि मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। 
दोस्तों!! आगे क्या हुआ? मैं अगले भाग में बताऊँगा। मैन बोझिल हो गया है। जिसको मैंने इतना प्यार किया था वो ऐसी निकलेगी, यकीन नहीं था। 
अगले भाग में आगे की कहानी और अंकिता के बारे में बताऊँगा। जिसकी वज़ह से मैं कुछ नहीं कर पाया। मेरी Love Story में आगे क्या होता है, बताऊँगा।

Conlusion- Prem Ka Dhaaga

आज जिस मोड़ पर खड़ा हूँ, समझ नहीं आता कि किस पर भरोसा करूं और किस पर नहीं। प्यार शब्द से डर लगता है। "Silsila Zindagi Ka" आज भी चल रहा है, लेकिन यादों का सिलसिला ढ़ल नहीं रहा।
फिलहाल मिलता हूँ अगले भाग में ज़ल्दी ही। कैसी लगी आपको मेरी Love Story ज़रूर बताईयेगा।

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