Silsila Zindagi Ka Presents: मेरी शायरी मेरी ग़ज़ल का आग़ाज़ हो तुम
(एक सुंदर काव्य)
मेरी ग़ज़ल मेरी शायरी का आग़ाज़ हो तुम
ऐ मोहब्बत! मेरे जीने का अंदाज़ हो तुम
मेरी हसरतें ज़िन्दा हैं हर पल तुमसे ही
मेरी हर ख़्वाहिश की परवाज़ हो तुम
मेरी ज़िन्दगी की हर फ़साना तुमसे है
और उन फ़सानों का अल्फ़ाज़ हो तुम
मेरे दिल का हर ज़ख्म भी तुम से है
और मेरे हर ज़ख्म का इलाज हो तुम
मेरी ज़िन्दगी की खुली किताब भी तुम
और मेरी ज़िंदगी का हर राज़ हो तुम
मेरे जो अरमान मचल रहे हैं बिखर कर
उन बिखरे अरमानों की साज हो तुम
मेरी आजुर्दगी और इब्तिसाम भी तुमसे
और मेरी ज़िन्दगी का ताज़ हो तुम
मुझे मालूम है ताउम्र तुम मेरे साथ दोगे
तुम्हीं मेरा कल और मेरा आज हो तुम
जब भी मेरी मोहब्बत पूछती है मुझ से
तो मैं हमेशा कहता हूँ मेरी नाज़ हो तुम
यह थी आज की रचना मेरी शायरी मेरी ग़ज़ल का आग़ाज़ हो तुम! आपको किसी लगी हमें ज़रूर बताईये।।मिलता हूँ ज़ल्द ही एक नए Post के साथ। जुड़ेे रहिये आप हमारे Blog Silsila Zindagi Ka के साथ।
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