Ghazal/Hindi Ghazal/ आओ फिर से मुझे सताने के लिए आओ हर Ghazal कुछ कहता है। अगर दिल से लिखे जाएं इन Ghazal के अल्फ़ाज़ों को तो निश्चित तौ...
Ghazal/Hindi Ghazal/ आओ फिर से मुझे सताने के लिए आओ
हर Ghazal कुछ कहता है। अगर दिल से लिखे जाएं इन Ghazal के अल्फ़ाज़ों को तो निश्चित तौर पर रूह में उतर जाती है Ghazal। काफी समय बाद लिखा हूँ एक Ghazal.
Ghazal/Hindi Ghazal/ आओ फिर से मुझे सताने के लिए आओ
आओ, फिर से मुझे कभी सताने के लिए आओ
झूठा ही सही, सामने मुस्कुराने के लिए आओ
कोई गिले, शिक़वे नहीं करूंगा कभी भूल कर
हंसाने के लिए ना सही, मुझे रुलाने के लिए
वक़्त ठहर सा गया है, सब बिखर सा गया है
कुछ अरमां बचे हैं उन्हें भी जलाने के लिए आओ
तुमसे वफ़ा और बेवफ़ाई का हिसाब ना मांगूंगा
प्यार का आख़िरी शम्मा बुझाने के लिए आओ
माना कि तेरी निगाहों में मेरा वज़ूद कुछ भी नहीं
मेरे लिए ना सही, कभी इस ज़माने के लिए आओ
तुम्हारी हर बेरुखी को मुस्कुराते हुए झेल लूंगा
बस, फिर से मुझे छोड़ कर जाने के लिए आओ
दोस्तों! ये थी एक Ghazal। उम्मीद है, आपको पसंद आएगी। थोड़ा व्यस्त हूँ इसलिए छोटा पोस्ट लिख रहा हूँ, जैसे ही फ्री होऊंगा। आपके लिए बड़ी और बेहद अच्छी रचना ले कर आऊंगा। मिलता हूँ ज़ल्दी ही फिर।
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