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Saturday, May 17

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Religious: ब्रह्मपुर के प्रसिद्ध बाबा बरमेश्वर नाथ

Happy Mahashivratri साल का सबसे पावन मास, सावन की आप सभी को ढ़ेरो शुभकामनाएं। मैं महादेव से प्रार्थना करूँगा कि हे भोलेनाथ! इस संसार में ...

Happy Mahashivratri
साल का सबसे पावन मास, सावन की आप सभी को ढ़ेरो शुभकामनाएं। मैं महादेव से प्रार्थना करूँगा कि हे भोलेनाथ! इस संसार में कोई भी दुखी ना रहे। हर कोई सुखी रहे। कोई कभी भूखा ना सोवे। हर कोई हंसता और गुनगुनाता रहे।
तो आज मैं अपने ब्लॉग "सिलसिला ज़िन्दगी का" के माध्यम से आपको यात्रा कराऊँगा बिहार के, बक्सर जिला के ब्रह्मपुर में स्थित "बरमेश्वर नाथ धाम" की।

ब्रह्मपुर का बरमेश्वर नाथ धाम

ब्रह्मपुर का बरमेश्वर नाथ धाम की यात्रा करना ही अपने आप में सौभाग्य की बात होती है। क्योंकि यह धाम जितना पवित्र ही उतना ही प्रसिद्ध भी।बिहार के बक्सर जिले के ब्रह्मपुर शहर में स्थित बाबा बरमेश्वर नाथ के इस धाम पर आने से इंसान की सारी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।

ब्रह्मपुर का बरमेश्वर नाथ धाम

बिहार के बक्सर जिले में स्थित एक छोटा सा शहर ब्रह्मपुर धार्मिक आस्था के लिए बेहद प्रसिद्ध जगह है। यहां भगवान शिव की पूजा करने दूर-दूर से लोग आते हैं। यह मुख्य रूप से भगवान शिव के मंदिर की पौराणिक कथा और उसके पशु मेले के लिए प्रसिद्ध है। देश भर से लोग भगवान शिव के मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान के लिए यहां आते हैं।

कैसे नाम पड़ा ब्रह्मपुर


कहा जाता है कि ब्रह्मपुर शहर को स्वयं ब्रह्मा जी ने अपने हाथों से स्थापित किया ताज़ इसीलिए इसका नाम पड़ा ब्रह्मपुर। वैसे 

बह्मपुर का अर्थ ब्रह्मा की जगह है। ब्रह्मपुर के आसपास के लोगों का मानना है कि हिंदू भगवान शंकर, शिव लिंग के रूप में स्वयं धरती से बाहर आए हैं। उनका नाम ब्रह्मेश्वर नाथ है। यही कारण है कि गांव का नाम ब्रह्मपुर पडा, जो वास्तविक नाम है।

ब्रह्मपुर के बारे में प्रचलित कथा

ब्रह्मपुर के बाबा बरमेश्वर नाथ के धाम के प्रति लोगों की श्रद्धा और विश्वास तब और बढ़ जाता है जब एक चमत्कारी कहानी सुनने को मिलती है।

कहा जाता है कि प्राचीन काल में, मुस्लिम शासक मोहम्मद गज़नी, जब मंदिर को तोड़ने और यहाँ का धन लूटने आया तो, ब्रह्मपुर के लोगों ने उसको चेतावनी दी की अगर वो मंदिर तोड़ेगा तो बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ की तीसरी आँख उसका विनाश कर देगी। गज़नी ने कहा की ऐसे कोई देवता नहीं हैं। अगर हैं, तो मंदिर का प्रवेश द्वार, जो पूरब दिशा में है वो रात भर में पश्चिम में हो जायेगा। अगर ऐसा होता है तो वह मंदिर को छोड़ देगा और कभी मंदिर के पास नहीं आएगा। अगले दिन प्रातः कल जब वो मंदिर का विनाश करने आया तो दंग रह गया। उसने देखा की मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम की तरफ हो गया है और वो वहा से हमेशा के लिए चला गया।




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