बैजू बाबा पर हृदय से लिखा हूँ एक कविता, अवश्य पढ़ियेगा
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बैजू बाबा पर हृदय से लिखा हूँ एक कविता, अवश्य पढ़ियेगा

महादेव के महाभक्त बैजू बाबा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिए और अपने पीछे अपने उदास और निराश भक्तों की लम्बी तादाद छोड़ गए। उनके भक्त पूछ रहे हैं- बाबा तुम कहाँ चले गए?

Silsila Zindagi Ka ब्लॉग बैजू बाबा को सच्चे हृदय से नमन करता है और हम इसके माध्यम से बैजू बाबा की भक्ति में सराबोर होकर सुन्दर शब्दों से सुसज्जित एक कविता लेकर आए हैं। आप इसे ज़रूर पढिये।

हे महादेव के महाभक्त 
हे शंकर के साधक सशक्त 
हे परम सेवक गंगाधर के 
हे भक्त शिरोमणि जटाधर के 

जब से चले गए हैं आप 
सब ढूंढ रहे हैं यहाँ से वहाँ 
हे महाकाल के प्यारे लाल 
बताओ आप मिलोगे कहाँ? 

वन, उपवन या फूल में 
त्रिपुरारी के त्रिशूल में।
नदी, समंदर, घटाओं में 
या शिव की लहारती जटाओं में।।

समय के किसी साख पर 
या समय की गति में 
नटराज के ज्योतिर्लिंगों में 
या निरंकार की भस्म विभूति में 

धरती पर या अम्बर में 
या रहेंगे किसी शिवाला में 
या फिर दिखाई देंगे सबको 
भूतपति की मृग छाला में|

कैलाश्वासी के साथ कैलाश पर 
बैठे हुए दिखाई देंगे।
या बनकर नाद विश्वनाथ की डमरू का 
सारे जग में सुनाई देंगें।।

विश्वेश्वर के तीसरे नेत्र में रहेंगे 
या नीलकंठ के कंठ में।
शशिशेखर के शेखर पर
या मृत्युंजय के महामंत्र  में।।

रहेंगे वासुकी बनकर
भोले बाबा के गर्दन का सिंगार।
या रहेंगे दसों दिशाओं में
बनकर ज्योतिर्मय ओमकार।।

हर भक्त पूछ रहे एक दूजे से
क्या है पता बाबा गए जहाँ।
हे महाकाल के प्यारे लाल
बताओ आप मिलोगे कहाँ।।

दोस्तों!! आप लोगों को अगर यह कविता अच्छी लगी हो तो कृप्या कमेंट और शेयर जरूर करें। हर-हर महादेव।

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