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Childhood Games: क्या आपको याद हैं बचपन के वो खेल?

बचपन और बचपन के खेल (Childhood Games) हर इंसान की ज़िंदगी के सबसे अनमोल तोहफ़े होते हैं। इंसान सब कुछ भूल सकता है लेकिन अपना बचपन कभी नही...

बचपन और बचपन के खेल (Childhood Games)
हर इंसान की ज़िंदगी के सबसे अनमोल तोहफ़े होते हैं। इंसान सब कुछ भूल सकता है लेकिन अपना बचपन कभी नहीं। शायद आप भी अपने बचपन और बचपन के उन खेलों को नहीं भूल पाए होंगे, जिनके साथ ना जाने आपकी कितनी यादें जुड़ी हुई हैं?
Childhood Games

आज हम कितने भी मॉडर्न क्यों ना हो जाएं, लेकिन वो कहते हैं ना Old Is Gold. आज के खेल तो सिर्फ मोबाइल और कम्प्यूटर में ही सिमटकर रह गए हैं। शायद आज के बच्चे अपने बचपन को अच्छी तरह से नहीं समझ पातें और ना ही कभी समझ पाएंगे।

क्योंकि तकनीकी दुनिया कभी बचपन के खेल(Childhood Games)
का विस्तार कर ही नहीं सकती। यह हमें बताने की ज़रूरत नहीँ, क्योंकि आप भी इन चीजों को बेहतर तरीके से जाने हैं।


तो आज आईये हम आपको तकनीकी दुनिया से थोड़ा बाहर निकालते हैं और आपको लेकर चलते हैं आपके बचपन की गलियारों में। जहां मिट्टी में सनी कपड़े होते थे, लेकिन कभी ना थकने वाला जुनून। जिन खेलों की वजह से दिन छोटा लगता था।

1. छुतुड़ी


याद आया कुछ? इस नाम से तो आप वाकिफ ही होंगे। जगह-जगह पर गड्ढे खोदकर, अपने डंडे से उस पर हक़ ज़माना और कपड़े की गेंद से किसी पे वार करना। अगर गेंद मारकर आप जल्दी अपने गड्ढे पर हक़ नहीं जमा लेते तो जिसने हक़ जमाया को अब नहीं भागेगा। आपको भागना पड़ेगा। सभी आपको मिलकर भगाएंगे। तब तक जब तक आप किसी के गड्ढे पर हक़ नहीं जमा लेते।

2. लुका छिपी

बचपन का यह खेल तो काफी प्रसिद्ध है। हर किसी ने खेला होगा। जो आज भी अपने बचपन को करीब से देखे हैं, लुका छिपी का खेल उनकी ज़िन्दगी का हिस्सा होगा। क्योंकि यह एक ऐसा खेल था बचपन का जिसमें तलाश करनी होती थी, छिपने वाले की। तो क्या आपको याद आया आपके बचपन का यह खेल?

4. चोर सिपाही

हाँ, हाँ, वही कागज के टुकड़ों पर लिखा हुआ चोर, सिपाही, राजा, मंत्री वाला खेल। कागज को मोड़ना, हवा में उड़ाना और फिर जो आपके हिस्से में आया वो आपका। फिर लिखते रहो नंबर। राजा के लिए इतना, सिपाही के लिए उतना तो चोर के लिए इतना। याद आया?

5. तोता उड़, कौवा उड़

हथेली पर होती थी हर किसी की उंगली। और फिर तोता, कौवा उड़ने लगते थे। ज़रा सी भी उड़ने में कोई लड़खड़ाया उसकी आंख बंद कर के उस के सर पर ठोकरें मारने का दौर शुरू हो जाता था। जिसकी आंख बंद है, उसे पहचानना होता था कि पहले किसने ठोकर मारी है।

6. फनात या जम्प या छलांग

याद आ गया होगा आपको यह खेल। कुदाल से धरती का कुछ हिस्सा खोद दिया जाता था और दूर से दौड़ते हुए उस पर कूदना होता था। देखा जाता था कि कौन कितनी लंबी जम्प लगाता है। घण्टो तक इस खेल पर सभी पसीना बहाते थे।

7. सकीत कित किता

9 घेरे का खेल। एक एक घेरे को पार करते हुए आगे बढ़ना। सम्भलते गिरते। पर कर गए तो जीत गए, नहीं पर किये तो सामने वाले की बारी।

8. कांचा

फेमस गेम्स में से सबसे पसंदीदा गेम। अगर बात कांचा खेल की की जाए तो हर बचपन का सबसे बेहतरीन खेल यही रहा है। हमारेई तरफ तो इसे गोली कहा जाता था, और जगह भी और कई नामों से इस खेल को जाना जाता होगा। लेकिन जो भी हो, कांचा खेलने का वो मज़ा ही अलग था। 

9. गोटी

खासकर के यह लड़कियों का खेल है। लेकिन लड़कों के बचपन का भी यह पसंदीदा खेलों में से एक है। 5 गोटी वाला खेल। याद आया आपको कुछ।

10. कबड्डी

हम बचपन में जब कबड्डी खेले थे तब हमें भी नहीं मालूम था कि यह खेल एक राष्ट्रीय खेल (National Game Of India) बन जायेगा। जो भी हो, कबड्डी खेलने का अपना ही मज़ा था। 

Conclusion

सचमुच दोस्तों! ये खेल जब हमें याद आते हैं तो हमारा बचपन सामने खड़ा उदास दिखाई देता है। क्योंकि उससे हमारा रिश्ता नाता टूट चुका है। आज तो बस भागमभाग वाली ज़िन्दगी। बस और बस, पूरा मरकर थोड़ा जीने के लिए संघर्ष। 
अब ना तो वो बचपन आएगा और ना ही शायद कभी वो खेल हम हम खेल Childhood Games पाएंगे। क्योंकि सिलसिला ज़िन्दगी का (Silsila Zindagi Ka) इतनी तेज गुज़रा कि हमें मालूम ही नहीं चला कि हमारा बचपन कब अंधेरे में खो गया।  किन यादें हमेशा ज़िन्दा रहती हैं और रहेंगी।

दोस्तों! आपको भी आपके बचपन का कोई खेल याद है तो हमें ज़रूर लिख भेजिए। मिलते हैं अगले विषय के साथ जल्द ही।

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