उत्तरप्रदेश का द्वाबा (UP Dwaba Kshetra) क्षेत्र हमेशा से संत महात्माओं का कर्मभूमि रहा है। यहाँ एक से बढ़कर एक संत हुए हैं। इन्हीं में से ए...
उत्तरप्रदेश का द्वाबा (UP Dwaba Kshetra) क्षेत्र हमेशा से संत महात्माओं का कर्मभूमि रहा है। यहाँ एक से बढ़कर एक संत हुए हैं। इन्हीं में से एक है श्री श्री 1008 श्री स्वामीजी (Sri Sri 1008 Sri Swamiji Maharaj) महाराज।
बलिया जिले में स्थित इनका पावन स्थान आज भी श्रद्धालुओं की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। कहते हैं कि श्री महाराज बाबा के इस पावन स्थल पर जो भी सच्चे हृदय से आता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
दूर-दूर तक फैले श्री स्वामी महाराज बाबा (Sri Swamiji Maharaj Baba Temple Raniganj) के मंदिर में आते ही ह्रदय में एक अलग अलौकिकता का एहसास होता है और मन प्रफुल्लित होकर भक्ति के सागर में गोते लगाने लगता है। और हो भी क्यों ना? श्री स्वामी महाराजजी के चमत्कारों और दिव्यता से आज भी यह परिसर परिपूर्ण है।
संत महात्माओं में श्री स्वामीजी महाराज बाबा (Shri Swamiji Majaraj Baba to Ballia Distance) का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। ये यहाँ के जनमानस में स्वामीजी के नाम से प्रचलित हैं।
स्वामीजी एक ब्रह्मज्ञानी एवं त्रिकालदर्शी संत थे। लोगों की मान्यता है कि उनके स्मरण मात्र से ही सारे पाप, ताप और अंधकार समाप्त हो जाते हैं।
श्री स्वामीजी महाराज बाबा का जन्म चक गिरधर, तिवारी के मिल्की में आज से लगभग 3 सौ वर्ष पूर्व हुआ था। किशोरावस्था से ही इन्हें इस संसार की मोह माया और इस नश्वर शरीर से वैराग्य होने लगा था। इसीलिए श्री स्वामी महाराज बाबा अल्पवस्था में ही वैराग्य की ओर मुखातिब हो गए।
वैराग्य की ओर मुखातिब होते ही श्री स्वामी महाराज बाबा पहुँच गए अपने श्रद्धेय गुरु श्री प्रवर योगी चैनराम बाबा के आश्रम में। जहाँ उनके गुरुजी ने उनके गले में एक तुलसी की माला पहना दी।
श्री श्री 1008 श्री स्वामीजी महाराज बाबा उस माला का घोल बनाकर पी गए और इसके पश्चात वो पूर्ण रूप से संन्यासी बन गए।
श्री स्वामीजी महाराज बाबा के पावन दरबार में विराजमान श्री हरिवंश दासजी ने बाबा से जुड़ी कई कथाओं का वर्णन एक किताब के माध्यम से किया है।
5minutesnews की टीम जब उनसे मिली तो उन्होंने वो किताब और बाबा की तरफ से आशीर्वाद भी हमें दिया और फिर से हमें आने के लिए कहा।
श्री स्वामीजी महाराज बाबा के इस अद्भुत, अलौकिक और रमणीय स्थल को नमन कर हम यहाँ से विदा हुए और अपने अगले सफर पर निकल पड़े।
तो फिर से जल्दी ही मिलते हैं एक नए विषय के साथ। पढ़ते रहिये www.5minutesnews.com
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