Brahampur Dham: हमारे भारतवर्ष का कोना-कोना रहस्यों से भरा पडा है. यहाँ की मिट्टी श्रद्धा और आस्था के रंगों में रंगी है, इसीलिये यहाँ की मि...
Brahampur Dham: हमारे भारतवर्ष का कोना-कोना रहस्यों से भरा पडा है. यहाँ की मिट्टी श्रद्धा और आस्था के रंगों में रंगी है, इसीलिये यहाँ की मिट्टी की चमक संसार में सबसे अलग है.
यूँ तो आपने भारत के कई रहस्यमयी जगहों की कहानी आपने देखा और सुना होगा. लेकिन आज मैं आपको जिस रहस्यमयी (Mystery of India) जगह पर लेकर चल रहा हूँ, वह भगवान शिव के चमत्कार से जुडी है.
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बिहार की राजधानी पटना से 130 और बक्सर जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर स्थित ब्रह्मपुर के चर्चित बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ (Baba Brahmeshwar Nath Temple Brahampur) का मंदिर दूर-दराज लोगों के लिए आस्था और श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र है.
बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ के इस पावन मंदिर में प्रवेश करते ही ऐसा प्रतीत होता है, जैसे यहाँ स्वयं शिव विराजमान हैं. रंग-बिरंगे फूलों से सुसज्जित और दूध की धारा से प्रवाहित होते शिवलिंग (Brahampur Shivling) का नाता इतिहास से जुड़ा हुआ है.
<"ऐतिहासिक दरवाज़ा यही पूरब से पश्चिम हो गया था">
जैसे ही दीवार पर अंकित इस वाक्य पर नज़र जाती है, हम यह जानने के लिए उत्सुक हो जाते हैं की आखिर कोई दरवाज़ा अपने आप पूरब से पश्चिम कैसे घूम सकता है? पर मैंने कहा ना की हमारा भारत रहस्यों से भरा पड़ा है.
ब्रह्मपुर धाम के बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ का मंदिर का ज़िक्र पुराणों में मिलता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर को स्वयं ब्रह्माजी ने स्थापित किया था. इसीलिये इस शिव लिंग को बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ और इस जगह को ब्रह्मपुर के नाम से जाना जाता है.
Brahampur Dham: जहाँ मंदिर का दरवाज़ा अपने आप पूरब से पश्चिम हो गया था
कहते हैं की मोहम्मद गजनी (Mohammad Ghazani) जब भारत के मंदिरों पर आक्रमण कर उन्हें तोड़ रहा था, इसी दौरान वो इस मंदिर को तोड़ने के लिए इसकी तरफ रुख किया.
तब वहाँ के पुजारियों ने उसको रोकते हुए कहा की ''वो इस मंदिर को ना तोड़े". क्योंकि भगवान शिव के इस मंदिर से यहाँ के लोगों की असीम आस्था जुडी हुई है.
तब मोहम्मद गजनी ने कहा "ऐसा कोई भगवान है ही नहीं. और उसने चुनौती (Mohammad Ghazani Attacked on Baba Brahmeshwar Nath temple) दी की अगर कोई भगवान है तो मंदिर का जो प्रवेश द्वार पूरब दिशा में है वह रात भर में पश्चिम दिशा की ओर हो जाए. अगर ऐसा हुआ तो वो इस मंदिर को छोड़ देगा और कभी इसके पास नहीं आएगा."
अगले दिन जब मोहम्मद गजनी इस मंदिर का विनाश करने वाया तो उसने देखा की मंदिर का प्रवेश द्वार अपने आप पूरब से पश्चिम की तरफ हो गया है. इसके बाद वह बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ के चमत्कार से भयभीत होकर मंदिर को क्षति पहुंचाए बगैर वहाँ से लौट गया.
शिव पुराण की रूद्र संहिता में ब्रह्मपुर में स्थित महादेव धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाले हैं. इन्हें मनोकामना महादेव भी कहा जाता है. इस मंदिर का मुख्य दरवाज़ा पश्चिम मुखी है, जबकि देश के एनी शिव मंदिरों का दरवाज़ा पूरब दिशा में है.
मंदिर के परिसर में एक बहुत ही प्राचीन तालाब है, जिसमें भक्तगण स्नान करते हैं और इसके बाद बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ के इस मंदिर में जलाभिषेक करते हैं. यह सच है की बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ के इस पावन दरबार में भक्तों के द्वारा लगाई हुई अर्जी अस्वीकार नहीं होती है. यहाँ आने वाले हर भक्त की मनोकामना जरुर पूर्ण होती है.
silsila zindagi ka के आज के सफ़र में बस इतना ही. मिलते हैं अगेल पोस्ट में एक नए विषय के साथ. तब तक मुझे दीजिये इजाज़त.
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