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Bihar Flood 2025: एक था जवईनिया गाँव

 

"जिन हाथों ने घर बनाए थे, अब वही हाथ खाली बैठे हैं..."

Bihar Flood 2025: एक था जवईनिया गाँव


हर साल की तरह इस साल भी सावन आया, लेकिन इस बार वो हरियाली नहीं, तबाही लाया। बिहार के भोजपुर ज़िले में बसे कुछ छोटा लेकिन आत्मनिर्भर गाँव — जवईनिया (Javainiya Village, Bhojpur Bihar), अब महज़ इतिहास बन गया है। बाढ़ (flood 2025) ने सिर्फ खेत और घर नहीं बहाए, बल्कि इस गाँव के सपने, यादें और जड़ें बहा दीं।

Bihar Flood 2025: एक था जवईनिया गाँव

https://www.silsilazindagika.in.net/2024/12/30-1.html

जवईनिया: एक रात में सब कुछ खत्म

Bihar Flood 2025: एक था जवईनिया गाँव


जवईनिया (Javainiya) गाँव में रात को लोग चैन की नींद में थे। दिन भर खेल कूद से थके बच्चे अपने माँ की गोद में सुकून से सो रहे थे। दिन भर खेतों में काम करने वाले किसान अगले सुबह फिर से काम पर जाने के लिए आराम फरमा रहे थे। लेकिन किसे पता था की अगली सुबह की कहानी इतनी दर्दनाक होगी की यह दर्द कोई भी कभी नहीं भूल पाएगा। 

Bihar Flood 2025: एक था जवईनिया गाँव


कल तक जहां खेत मुस्कुरा रहे थे, अब उस जगह पर गंगा नदी का सैलाब बह रहा था। कटान शुरू हो चुका था और देखते - देखते इस कटान ने इतना रौद्र रूप धारण किया की पल भर में सब कुछ खत्म हो गया। 

Bihar Flood 2025: एक था जवईनिया गाँव


बाढ़ में बह गए मकान

कल तक जहाँ बेहद सुंदर - सुंदर मकान दिख रहे थे, अब वहां पानी बह रहा है। अपनी आंखों के सामने गिरते हुए मकानों को देखकर जब दूसरों के दिल में दर्द उभर आया, तो ज़रा सोचिए उनका क्या हाल हुआ होगा, जिनके घर होंगे।

Bihar Flood 2025: एक था जवईनिया गाँव


जिन हाथों ने कड़ी मेहनत कर के मिट्टी और ईंट से घर बनाए थे, अब वही हाथ कमज़ोर पड़ चुके हैं।


जिन दीवारों के बीच बचपन और जवानी बीती थी, अब वहाँ गंगा की लहरें बह रही हैं।

Bihar Flood 2025: एक था जवईनिया गाँव


जिन खिड़कियों से सूरज झाँकता था, अब वहाँ अंधेरा पसरा है।


जिन मैदानों और में बच्चे और जवना कल तक खेला करते थे, वो मैदान और स्कूल अब गायब हो चुके हैं।

Bihar Flood 2025: एक था जवईनिया गाँव


जिन स्कूलों में छात्र पढ़ने जाया करते थे, अब वो स्कूल महज़ एक याद बन गया है।


इस दर्द को कोई कैसे भूल पाएगा? इस हकीकत को कोई कैसे सपना समझ लेगा? 


लोगों की आँखों में बहता पानी, सिर्फ आंसू नहीं — एक डूबे हुए जीवन की गवाही है। हर कोना, हर दीवार, हर दरवाज़ा एक कहानी कह रहा है — ग़म की, उजड़ने की, और बिछड़ने की।

Bihar Flood 2025: एक था जवईनिया गाँव


बिछड़ना सिर्फ रिश्तों का नहीं होता...

अपनी मातृभूमि से बिछड़ना भी एक ऐसा दर्द है, जिसे शब्दों में नहीं कहा जा सकता।

लोग आज बेघर हैं, लेकिन उनका दर्द सिर्फ घर न होने का नहीं, ज़मीन से जुड़ी पहचान खोने का है।

वो गाँव जहाँ पीढ़ियाँ पलीं, वो घर जो विरासत थे — अब सिर्फ यादें हैं। और यह ग़म — बाँटा नहीं जा सकता।

नौरंगा और भुआलछपरा में फिर घुसा पानी

जब लोग थोड़ा संभलने लगे थे, तभी नौरंगा (Nauranga) और भुआलछपरा (Bhualchhapra) में फिर से पानी ने कहर बरपाया। अचानक कटान बढ़ने लगा। लोगों के दिलों में दे घर करने लगा।

Bihar Flood 2025: एक था जवईनिया गाँव

इस बार बाढ़ (flood 2025) ने क्या सोचकर कदम बढ़ाया है, ये तो ऊपर वाला ही जानता है।

लोग सिहर उठे हैं —“कब फिर पानी आ जाएगा और सब कुछ ले जाएगा, इसका कोई भरोसा नहीं।” नौरंगा गाँव में राहत बचाव कार्य ज़ारी है, लेकिन हर रात चुनौतीपूर्ण और भारी है। 

कोई कर रहा है मदद... जितना बन पा रहा है

रिश्तेदार, आस-पड़ोस के गाँवों के लोगों के हाथ जवईनिया (Javainiya) की ओर मदद के लिए बढ़ रहे हैं — जो भी जैसे बना, वैसे मदद को आगे आ रहा है।

कोई छत दे रहा है, कोई भोजन सामग्री, कोई कपड़े, तो कोई दिलासा।

लेकिन ये मदद स्थायी नहीं है — ये सिर्फ एक मरहम है उस ज़ख्म पर, जो सदियों तक दर्द देता रहेगा।

आवाज़ उठाइए, जुड़िए — क्योंकि ये सिर्फ एक गाँव की कहानी नहीं है

Bihar Flood 2025: एक था जवईनिया गाँव


ये जवईनिया (Javainiya) की कहानी है, नौरंगा (Nauranga) का दर्द है, और भुआलछपरा (Bhualchhapra) की पुकार है।

लेकिन कल ये आपके गाँव की भी हो सकती है। आगे बढ़िये, मदद कीजिए और उन लड़खड़ाते हुए कदमों को थाम लीजिए, जो अब गिरने की कगार पर खड़े हैं।

Conclusion 

Silsila Zindagi Ka माँ गंगा से प्रार्थना करता है की लोगों को माफ करें। इन गाँवों को बसने दें, क्योंकि आज की कहानी अगर कल इतिहास बन जायेगी तो फिर बाढ़ से भी बड़ा सैलाब यहाँ के लोगों की आँखों में होगा।





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