बताओ क्यूं खफ़ा रहने लगे हो?
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बताओ क्यूं खफ़ा रहने लगे हो?

यूं जो तुम तन्हा रहने लगे हो
बताओ क्यूं खफ़ा रहने लगे हो?
मुस्कुराते थे हर पल, हर बात पर
आजकल खामोश हो
बताओ कौन सा ग़म सहने लगे हो?

ये जो तुम्हारी आँखों में पानी है
ये कौन सी  दर्द  की  कहानी है?
तुम्हारी ख़्वाहिशें तुमसे रूठी हैं
या तुमसे रूठी तुम्हारी ज़िंदगानी है?

तुम्हारे अपने नहीं रहे अब अपने
या अब तुम्हारे नहीं रहे तुम्हारे सपने?
किसी अरमां से रिश्ता तोड़ रहे हो
या फिर कोई नया ख़्वाब लगा है पनपने?

कुछ बोलते नहीं, सुनते नहीं, मुस्कराते क्यूं नहीं?
दर्द भरा नगमा ही सही, गुनगुनाते क्यूं नहीं?
फिर से प्यार के परिंदे आवाज़ दे रहे हैं तुम्हें
मुड़कर देखते क्यूं नहीं, लौटकर आते क्यूं नहीं?

किन फ़ज़ाओं में, किन हवाओं के साथ
 बहने लगे हो
आजकल ख़ामोश हो
बताओ कौन सा ग़म सहने लगे हो?
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