जब भी शहर में बारिश शुरू होती है
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जब भी शहर में बारिश शुरू होती है

जब भी शहर में  बारिश शुरू होती है
जाने क्यों ऐसा लगता है
कि तुम लौट आई हो।

जब बारिश की बूंदें अपनी धुन में
अनवरत गिर रही होती हैं
तो ऐसा लगता है कि तुम भी अपनी धुन में
झूम रही हो।
वही अदा लिए
चेहरे पर वही मुस्कान लिए ।
अपनी मस्ती में, अपनी धुन में
बस झूम रही हो।

याद हैं अभी गुज़रे हुए वो पल
बारिश से तुम्हें बहुत प्यार था
बेइंतहा प्यार।
घंटों बारिश की बूंदों के साथ खेलना।
मस्ती करना, नाचना, झूमना
सब याद है।
और हां, यह भी याद है
की बारिश की बूंदें भी
तुम्हें बहुत चाहती थीं।
तभी तो तुम्हारे बदन के जिस हिस्से पर
गिरती थीं
इस तरह लिपट जाती थीं
मानों कितने जन्मों का बंधन है
तुम्हारा और उस बारिश की।

तुम और बारिश की बूंदें
बहुत खुश होती थीं मिलकर
लेकिन तुम्हें पता है
मुझे कितनी जलन होती थी।
बहुत और बहुत
शायद मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता इसे।

पर सब कुछ सहन कर लेता था
इसलिए कि उन बारिश की बूंदों
के साथ खेलते हुए तुम्हें बहुत खुशी
मिलती थी।
और तुम्हारी हर खुशी में मेरी खुशी थी।
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