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सपनों के शहर में बारिश और बारिश में भीगते सपनें

मायानगरी यानि मुम्बई, लगातार हो रही बारिश से तर-बतर हो रही है. सड़कें, गलियाँ, चौबारें सब भीगे हुए हैं. इतना ही नहीं, अब तो बारिश...





मायानगरी यानि मुम्बई, लगातार हो रही बारिश से तर-बतर हो रही है. सड़कें, गलियाँ, चौबारें सब भीगे हुए हैं. इतना ही नहीं, अब तो बारिश की वज़ह से कहीं न कहीं लोगों के सपने भी भीग रहे हैं. क्योंकि सपनों के शहर में हर कोई सपना लेकर ही तो आता है. 
कभी ना थमने वाली, कभी  ना रुकने वाली मुम्बई नगरी की रफ़्तार को इस बारिश ने कहीं ना कहीं कम कर दिया है. लेकिन बारिश इस शहर की रफ़्तार कोपूरी तरह रोक दे, ऐसा हो नहीं हो सकता. क्योंकि ये तो वो शहर है जिसकी जिंदादिली की कहानियां पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. चाहे कितनी भी बड़ी मुसीबत क्यों ना आ जाए, मुम्बई नगरी शिद्दत और समर्पण से हर मुसीबत का सामना करती है और जीत भी जाती है.








मैं रोज़ अपने घर की खिड़की से देखता हूँ. बारिश की बड़ी-बड़ी बौछारों और पानी के तेज़ बहाव का जिंदादिली से  सामना करते हुए इस शहर को.मैं रोज़ देखता हूँ हर परिस्थिति में,हर हाल में इसे मुस्कुराते हुए. वाक़ई,
इस शहर को देखकर ज़िंदगी जीने का एक नया जुनूं मिलता है.

हाँ, ये सच है कि बरसात का मौसम आते ही मुम्बई शहर और यहाँ के लोगों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि यहाँ की बारिश जब रौद्र रूप धारण करती है तो रुकने का नाम नहीं लेती. ऐसे में यहाँ हर चीज़ डिस्टर्ब हो जाता है. लेकिन, इस शहर में ज़िंदगी की रफ़्तार को फिर से पटरी पर आने में ज़रा सा भी  वक़्त नहीं लगता. 




मायानगरी यानि मुम्बई शहर की कुछ बात ही और है दोस्तों. समन्दर के किनारे और बड़ी-बड़ी झांकती इमारतों के बीच में स्थित इस शहर की सुन्दरता देखते ही बनती है. इस शहर में कुछ नहीं है, लेकिन फिर भी कुछ है. इस शहर में ज़िंदगी नहीं है, लेकिन फिर एक ज़िंदगी है. इस शहर में कोई कहानी नहीं है, लेकिन इसी शहर से कई कहानियां निकली हैं. यहाँ कोई मुस्कुराता नहीं है, लेकिन यहाँ हर दर्द के पीछे भी एक मुस्कान है. 
इस शहर की खासियत बस यही है कि आप इसे सकारत्मक नज़रिए से देखेंगें तो ये  सकारात्मक दिखेगा...और नकारात्मक नज़रिए से देखेंगे तो नकारात्मक दिखेगा. इसी पर कुछ पंक्तियाँ हैं....

ज़माने के कारवाँ में अब कहाँ कोई खुशी का पैग़ाम मिलता है 
इस शहर में इंसान को इंसान नहीं पहचानता 
कैसे करूँ भरोसा, खुदा और राम मिलता है

एक अपना था वो भी गो गया है इन बड़ी इमारतों में 
ढूंढता हूँ किसी और को
तो किसी और का नाम मिलता है. 

सुनते है कि इस शहर में लूटाया है बहुतों ने अपना आशियां 
मगर ये भी सुना है 
कि यहाँ लुट कर ही किसी को बड़ा मक़ाम मिलता है. 

तो दोस्तों !! कैसा लगा मेरा यह लेख ज़रूर बताईयेगा. 
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