सोचता हूँ अब प्यार का कारोबार करूं छोड़ दूं प्यार को या फिर से प्यार करूं जिसकी चाहत, मोहब्बत में मर मिट ...
सोचता हूँ अब प्यार का कारोबार करूं
छोड़ दूं प्यार को या फिर से प्यार करूं
जिसकी चाहत, मोहब्बत में मर मिट गया मैं
वो हुआ ना मेरा, फिर किस पे ऐतबार करूं
यकीनन ना तुम मेरे थे, ना वो वक़्त मेरा था
वक़्त का या तुम्हारा, अब किसका इंतज़ार करूं
कर लिया हूँ फैसला अब जीऊंगा जी भर के
क्यों खुद को तड़पाऊं, क्यों ख़ुद को लाचार करूं
जाओ अब मिटा दिया मैंने तुम्हारी हर याद को
पागल नहीं मैं तुम्हारे लिए दुयाएँ बार-बार करूं
समझा लिया है दिल को, मना लिया है दिल को
क्यों तुम्हारी याद में ज़िन्दगी को बेकार करूं
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