Page Nav

HIDE

Gradient Skin

Gradient_Skin

यह भी पढ़िए

latest

सिलसिला ज़िंदगी का चलता रहे

रोज़ इन आँखों  में  एक  नया  ख्व़ाब  पलता रहे रोज़ सूरज ढलता रहे, रोज़ सूरज  निकलता  रहे निगाहें भी साफ़ और निशाना  भी  साफ  रखिये मंज़ि...



रोज़ इन आँखों  में  एक  नया  ख्व़ाब  पलता रहे
रोज़ सूरज ढलता रहे, रोज़ सूरज  निकलता  रहे

निगाहें भी साफ़ और निशाना  भी  साफ  रखिये
मंज़िल  ना   बदले, भले  ही  रस्ता   बदलता  रहे

चलिए दो पल सुकूं के बीताते हैं हम  साथ -साथ
ये ठीक नहीं कि बेचैनी  में यूं  दिल  मचलता रहे

ये बहार है  ज़िंदगी  का जो हर रोज़ नहीं मिलता
इसे यूं न गंवाईये कि ये  याद बनकर खलता रहे

ये नाराज़गी और नफ़रत ठीक नहीं, ऐसा न  हो
हम देखते रहें और इश्क का आशियां जलता रहे

ये मेरे गीत, मेरी ग़ज़लें रोज़ रस्ता देखती हैं तुम्हारा
लौट आओ कि  सिलसिला ज़िंदगी का  चलता  रहे

****************************************************



No comments

Advertisment