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नौरंगा और भुआलछपरा गाँव का विकास होते देखना चाहते हैं? तो उसका बस एक ही उपाय है

विकास, विकास और विकास...वर्षों से नौरंगा और भुआल छपरा गाँव को सभी आदर्श गाँव बनते हुए देखना चाहते हैं. सभी ने बहुत मेहनत किया....






विकास, विकास और विकास...वर्षों से नौरंगा और भुआल छपरा गाँव को सभी आदर्श गाँव बनते हुए देखना चाहते हैं. सभी ने बहुत मेहनत किया.  
लेकिन, क्या हो गया विकास...? क्या इन गांवों में आ गई बिजली...? बन गए अस्पताल...? क्या खुल गए स्कूल और कॉलेज...?  और देखो, ज़रा गौर से देखो....क्या गंगा नदी पर पुल बन गया...? 

ये सवाल किसी और से नहीं पूछना है, बल्कि खुद से ही पूछना है और इसका ज़वाब भी खुद से हे ढूंढना है. 
नौरंगा ग्रामवासियों!! जिस भ्रम की स्थिति में तुम जी रहे हो न, वो भ्रम सिर्फ भ्रम ही रह जाएगा. यथार्थ कभी नहीं होगा. क्योंकि तुम दूसरों के बहकावे में आ कर आसमान में उड़ने की कोशिश जो कर रहे हो. 
उड़ो.!! खूब उड़ो!! ऊंचे आसमान में उड़ो !! लेकिन ध्यान रहे कि धरातल का नापतौल का भी बखूबी तुम्हें पता हो. क्योंकि उतरोगे तुम एक दिन धरातल पर ही. 
जन सभा का आयोजन करने से कुछ नहीं हो जाता. नारे लगाने और तालियाँ बजाने से कुछ नहीं जाता. ये सब भ्रम था. दिखावा था, छलावा था. और हाँ, इस ग्राम सभा को कई लोगों ने तो एक ही दिन में  गोद भी ले लिया था. 
आप ही बताओ...क्या यह सत्य था..? या सत्य है..तो ज़रा बताना..
अगर सत्य है तो  इसकी तैयारी शुरू हो गयी है क्या...? 

हमारे प्रिय श्री फेकू बाबा जी का वो स्थल गवाह है, साक्षी है इस बात का कि जब नौरंगा जन सभा के बीच आये हुए नेताओं ने क्या-क्या वादे किये थे...? और इतना ही नहीं, क्या-क्या उनके मन में चल रहा था. 
उनके मन की बात तो हम नहीं जानते, लेकिन जो उन्होंने बोला....ज़रा सुन लीजिये और याद कीजिये.....

किसी ने 5 लाख रूपये, किसी ने 10 लाख रूपये तो किसी ने इस ग्राम सभा में ग्रंथालय बनवाने का भी वादा किया था. लेकिन, जिस दिन ये सारे वादें हुए थें, उसके बाद इसकी चर्चा भी कहीं हुई है या नहीं. मुझे कमेन्ट कर के ज़रूर बताना. 

अगर नौरंगा ग्राम सभा को विकास होते हुए देखना चाहते हैं, तो उसका एक ही उपाय है...अपने आप से वादा. किसी और के बातों पे भरोसा ना कर के खुद आगे बढ़ना. 

मुझे पता है और मुझे यकीन भी है कि नौरंगा ग्राम सभा में ऐसे भी नौज़वान हैं जो ठान लें, तो कुछ भी कर सकते हैं. 
किसी शायर ने लिखा है....
ख़म ठोक ठेलता है जब नर 
पर्वत के जाते पाँव उखड 
मानव जब ज़ोर लगता है 
तो पत्थर भी पानी बन जाता है. 

 दोस्तों !! वक़्त आ गया है जागने का....छलावा और भ्रम में पड़ने का नहीं. किसी से डरने का नाहीं. 
ये वो समय है, जिसमें आप जी-जान से परिवर्तन की कोशिश करेंगें तो, परिवर्तन हो जाएगा या फिर कभी नहीं होगा. 
लेकीन ध्यान रहे...नहीं सहबद आपके शब्दकोष में नहीं होना चाहिए. 
हमें अपने गाँव की तस्वीर बदलनी है तो किसी भी कीमत पर आगे बढ़ना होगा. हर मुश्किल से जम कर लड़ना होगा और सबसे बड़ी बात ये कि फैसला किसी और पर नहीं, फैसला खुद से करना होगा. 

और अगर चाहते हैं कि नौरंगा और भुआल छपरा का विकास हो तो .....

सबसे पहले उनको  दरकिनार करना होगा, जो हमारे बीच ही रह कर हमसे धोखा करते हैं. 
जो हमारे बीच ही रह कर हमारे हक की चीज़ें खाते हैं. 
जो हमारे बीच ही रह कर, हमारे विकास के नाम पर घूस लेते हैं, पैसे खाते हैं. 
जो जुबान से हमें अपना तो कहते हैं, लेकिन दिल से हमें बेगाना समझते हैं. 
जिनकी जुबान पर विकास की बात आती है, पर दिल में विनाश करने की सोच है.

दोस्तों !! रात के 3 बजने वाले हैं और मैं इस समय भी नौरंगा ग्राम सभा के विकास के लिए कुछ लिख रहा हूँ. सच्चाई से रु-ब-रु हो कर सच ही लिख रहा हूँ. ताकि वो हो सके, जो अब तक नहीं हो सका. 

मैंने ठान लिया है कि मैं अपने ब्लॉग के माध्यम से तब तक नौरंगा ग्राम सभा पर लिखता रहूँगा, जब तक वहाँ विकास ना हो जाए. और देखना, एक दिन ऐसा  हो कर रहेगा. बस आपका साथ चाहिए. 

प्रसिद्ध शायर अकबर इलाहाबादी ने कहा है-
खींचो न कमानों न तलवार निकालो 
जब तोप मुक़ाबिल हो तो अखबार निकालो ||

अखबार निकला चुका है. और अब ज़रूर एक नया इतिहास पैदा होगा. बस आप हमारे साथ चलिए.

कमेन्ट कीजिये और आप मुझे e-mail भी कर सकते हैं- wonderfullworld6@gmail.com.

मेरा यह लेख आपको कैसा लगा, कमेन्ट कीजिये और ज़रूर बताईये.




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