एक उम्दा शायर, लेखक और ग़ज़लकार "श्री चंद्रशेखर गोस्वामी" जी की एक कविता आप तक अपने ब्लॉग के माध्यम से पहुंचा रहा हूँ जिस...
एक उम्दा शायर, लेखक और ग़ज़लकार "श्री चंद्रशेखर गोस्वामी" जी की एक कविता आप तक अपने ब्लॉग के माध्यम से पहुंचा रहा हूँ जिसका नाम है "ज़िन्दा शहर बनारस"। इनकी कलम से जो भी कविता, ग़ज़ल या शायरी निकली उसे लोगों ने ख़ूब प्यार दिया। इनके द्वारा लिखी हुई एक कविता" मिट्टी वाले दीये जलाना अबकी बार दीवाली में" पूरे भारत में प्रचलित हुई थी।
"ज़िन्दा शहर बनारस" इनकी इस कविता को भी जम कर सराहा गया है। आप ज़रूर पढ़िए।
जिसने भी छुआ वो स्वर्ण हुआ सब कहे मुझे मैं पारस हूँ !
मेरा जन्म महाशमशान मगर मैं “ज़िंदा शहर बनारस” हूँ !!
साक्षी संतों की परम्परा, विश्राम जो मुझमें लेते हैं !
औघड़दानी की तपोभूमि शिव मोक्ष मुझे में देते हैं !
उपदेश हूँ कीनाराम का मैं तुलसी की मानस का रस हूँ !
मेरा जन्म महाशमशान मगर मैं “ज़िंदा शहर बनारस” हूँ !!
उत्तर-वाहिनी गंग यहाँ, हर दिन ईक नई उमंग यहाँ !
कण-कण बिखरा संगीत यहीं अदभुत जीवन का ढंग यहाँ !!
गुरुज्ञान की अविरल धारा हूँ मैं प्रिय का प्रेम-सुधा-रस हूँ !
मेरा जन्म महाशमशान मगर मैं “ज़िंदा शहर बनारस” हूँ !!
- चन्द्र शेखर गोस्वामी
मेरा जन्म महाशमशान मगर मैं “ज़िंदा शहर बनारस” हूँ !!
साक्षी संतों की परम्परा, विश्राम जो मुझमें लेते हैं !
औघड़दानी की तपोभूमि शिव मोक्ष मुझे में देते हैं !
उपदेश हूँ कीनाराम का मैं तुलसी की मानस का रस हूँ !
मेरा जन्म महाशमशान मगर मैं “ज़िंदा शहर बनारस” हूँ !!
उत्तर-वाहिनी गंग यहाँ, हर दिन ईक नई उमंग यहाँ !
कण-कण बिखरा संगीत यहीं अदभुत जीवन का ढंग यहाँ !!
गुरुज्ञान की अविरल धारा हूँ मैं प्रिय का प्रेम-सुधा-रस हूँ !
मेरा जन्म महाशमशान मगर मैं “ज़िंदा शहर बनारस” हूँ !!
- चन्द्र शेखर गोस्वामी
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