Dil Ka Paigham/ दिल का पैग़ाम चले आओ मेरी पतझड़ सी ज़िन्दगी में बहार बनकर मिल जाओ किसी मोड़ पर बिछड़ा हुआ यार बनकर चाहत का पैमान...
Dil Ka Paigham/ दिल का पैग़ाम
चले आओ मेरी पतझड़ सी ज़िन्दगी में बहार बनकर
मिल जाओ किसी मोड़ पर बिछड़ा हुआ यार बनकर
चाहत का पैमाना और दिल का पैग़ाम ले कर आओ
फिर से अपनी ज़बां पर मेरा नाम ले कर आओ
फिर से मेरी मोहब्बत का अंदाज़ बनकर आओ
फिर से मेरी ग़ज़ल का अल्फ़ाज़ बनकर आओ
फिर से मेरे दिल का नज़राना बनकर आओ
फिर से मेरी ज़िन्दगी का अफ़साना बनकर आओ
बेचैनी के इस पल में मेरी राहत बनकर आओ
बिखरती ज़िन्दगी के लिए इबादत बनकर आओ
चले आओ मेरी पतझड़ सी ज़िन्दगी में बहार बनकर
मिल जाओ किसी मोड़ पर बिछड़ा हुआ यार बनकर
It is a Ghazal: Dil Ka Paigham. Let me know sure, How It is?
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